Book Title: Dhavala Uddharan
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 301
________________ धवला उद्धरण सोहम्मीसाणे य सोहम्मे माहिदे पढम सोहम्मे सत्तगुसं संकलणरासिमिच्छे संकाइसल्लरहियो संकामेदुक्कड्डदि जे संखा तह पत्थारो संखो पुण बारह संगमाण विहत्ते संगह - णुग्गह- कुसलो संगहिय-सयल - संजममेय संछुहइ पुरिसवेदे संठाविदूण रूवं संते व णणिट्ठादि संपुणं तु समग्गं संभवमरणविवज्जिय संसेदिम-सम्मुच्छिम सांतरणिरंतरेण य सांतरणिरंतरेदरसुण्णा स्याद्वादप्रविभक्तार्थ स्वयं ह्यहिंसा स्वयमेव हिंसनं हय-हथि-रहाणहिवा हारान्तरहृतहाराल् हेट्ठा मज्झे उवरिं हेट्ठिमगेवज्जेसु अ हेतावेवम्प्रकारादौ तावेवम्प्रकारादी 2/7 124/9 126/9 15/13 25/13 21/6 7/7 12/4 12/7 31/1 187/1 24/6 13/7 30/4 186/1 1/16 139/1 19/8 8/14 55/9 5/14 ह 37/1 28/3 6/4 5/7 5/6 88/9 296 151 191 191 232 217 135 145 102 146 15 59 136 147 115 59 259 45 159 240 175 240 18 85 101 152 126 182

Loading...

Page Navigation
1 ... 299 300 301 302