Book Title: Dhavala Uddharan
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 284
________________ गाथानुक्रमणि णामं ठवणा दविए णामं ठवणा दवियं णामं ठवणा दवियं णामं ठवणा दवियं णामं ठवणा दवियं णिक्खत्तु विदियमेत्तं णिच्चं विय- जुवइ पसू णिज्जरिदाणिज्जरिदं णिद्दद्ध-मोह-तरुणो णिद्दा-वंचण-बहुलो णिद्दावंचणबहुलो णिम्मूलखंधसाहुव णिरआउआ जहण्णा रियाई संपत्तो णिस्से - खीण-मोहा णिहय- विविहट्ठ-कम्मा इय- देव - तित्थयरो वित्थी व पुमं णो इदिएसु विरदो तत्तो चेव सुहाई ततो वर्षशते पूर्णे तत्थ मइदुब्बलेण य तद विददो घण सुसिरो तपसि द्वादशसंख्ये तम्हा अहिगय-सुत्तेण तल्लीनमधुगविमलं तस्स य सकम्मजणियं 9/1 8/3 57/3 2/4 65/9 10/7 17/13 4/13 23/1 202/1 3/16 240/2 25/4 6/7 123/1 26/1 24/13 172/1 111/1 त 49/1 30/13 35/13 1/13 105/9 69/1 2/7 47/13 279 9 81 93 100 177 146 215 212 14 63 257 76 114 145 41 15 234 55 38 20 236 219 229 186 25 151 222

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