Book Title: Dhavala Uddharan
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 286
________________ 281 गाथानुक्रमणिका तेरह कोडी देसे तो जत्थ समाहाणं तो देसकालचेट्ठा तोयमिव णालियाए तं मिच्छत्तं जमसइणं 70/3 16/13 20/13 74/13 107/1 96 215 216 228 थिरकयजोगाणं पुण थ 18/13 216 63/1 24/1 4/7 5/7 142 142 6 225 6/1 188 139 160 दढ-गारव-पडिबद्धो दलिय-मयण-प्पयावा दव्व-गुण-पज्जए जे दव्व-गुण-पज्जए जे दव्वट्ठिय-णय-पयई दव्वाइमणेगाइं तीहि दव्वादिवदिक्कमणं दर्शनेन जिनेन्द्राणां दस अट्ठारस दसयं दस चदुरिगि सत्तारस दस चोइस अट्ठट्ठारस दसविह-सच्चे वयणे दस सण्णीणं पाणा दहि-गुडमिव वामिस्सं दाणे लाभे भोगे दाणंतराइयं दाणे दिव्वति जदो णिच्वं दीपो यथा निवृत्तिमभ्युपेतो दुओणदं जहाजादं 156 182 58/13 115/9 1/6 23/8 6/8 84/9 158/1 236/2 109/1 58/1 5/15 131/1 2/6 66/9 51 75 37 247 43 139 178

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