Book Title: Dhavala Uddharan
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 293
________________ धवला उद्धरण भिण्ण-समय-ट्ठिएहि भंगायामपमाणं लघुओ मक्कडय- भमर - महुवर मणपज्जवपरिहारा मणसा वचसा कारण मणुवत्तणसुहमठलं मण्णति जदो णिच्चं मदिसुदओहिमणेहिं य मध्यान्हे जिनरूपं मरणं पत्थेइ रणे देदि मरणं पत्थेइ रणे मसुरिय-कुसग्ग- बिंदू माणद्धा कोधद्धा मानुषशरीरलेशावय मासुण-संठाणा वि हु मिच्छत्त-कसायासं मिच्छत्तपच्चओ खलु मिच्छत्त-भय-दुगुंछा मिच्छ तवेदणीयं कम्म मिच्छत्ताविरदी विय मिच्छत्ते दस भंगा मिच्छत्तं वेयंतो जीवो मिच्छाइट्ठी णियमा मिथ्यासमूहो मिथ्या मीमंसदि जो पुव्वं मुखमर्द्ध शरीरस्य मुह - तलसमास-अद्धं 116/1 1/12 म 138/1 244/2 88/1 30/9 130/1 229/2 109/9 205/1 6/16 25/13 38/4 100/9 28/1 7/7 8/6 8/8 6/6 2/7 13/5 106/1 15/6 61/9 221/1 35/13 9/4 288 39 207 45 77 31 170 43 73 187 64 258 235 117 185 15 142 131 156 130 141 123 36 133 176 69 237 102

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