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धवला उद्धरण
नव ग्रैवेयकों में विमानों की संख्या एक्कारसयं तिसु हेट्ठिमेसु तिसु मज्झिमेसु सत्तहियं। एक्काणउदिविमाणा तिसु गेवज्जे सुवरिमेसु।।14।।
अघस्तन तीन ग्रैवेयकों में एक सौ ग्यारह विमान, मध्यम तीन ग्रैवेयकों में एक सौ सात विमान और उपरिम तीन ग्रैवेयकों में इक्यानवे विमान होते हैं।।14।।
अनुदिश और अनुत्तरों के विमान गेवज्जाणुवरिमया णव चेव अणुद्दिसा विमाणा ते। तह य अणुत्तरणामा पंचेव हवंति संखाए।।15।।
नव ग्रैवेयकों के ऊपर अनुदिश संज्ञा वाले नौ विमान होते हैं। उनके ऊपर अनुत्तर संज्ञा वाले पाँच विमान होते हैं।।15।। बीजे जोणीभूदे जीवो वक्कमइ सो व अण्णो वा। जे वि य मूलादीया ते पत्ते या पढमदाए।।16।।
योनीभूत बीज में वही पूर्व पर्याय वाला जीव अथवा अन्य दूसरा भी तीव्र संक्रमण करता है और जो बीज मूलादिक बादर निगोद प्रतिष्ठित वनस्पति कायिक जीव हैं। वे सब प्रथम अवस्था में प्रत्येक शरीर ही होते
हैं।।।16।।
निश्चय और व्यवहार काल कालो त्ति य ववएसो सब्भावपरूवओ हवइ णिच्चो। उप्पण्णप्पद्धंसी अवरो दीहंतरटठाई।।1।।
'काल' इस प्रकार का यह नाम सत्तारूप निश्चय काल का प्ररूपक है और वह निश्चय काल द्रव्य अविनाशी होता है। दसरा व्यवहार काल उत्पन्न और प्रध्वंस होने वाला है तथा आवली, पल्य, सागर आदि के रूप से दीर्घकाल तक स्थायी है।।1।।