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धवला उद्धरण
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पद की विशेषता
अत्थो पदेण गम्मइ पदमिह अट्ठरहियमणभिलप्पं । पदमत्थस्स णिमेणं अत्थालावो पदं कुणई ।। 1 ।।
अर्थ पद से जाना जाता है। यहाँ अर्थ रहित पद उच्चारण के अयोग्य है। पद अर्थ का स्थान है। अतः अर्थोच्चारण पद को उत्पन्न करता है।।1।।
आठ अनुयोगद्वार
पदमीमांसा संखा गुणयारो चउत्थयं च सामित्तं । ओजो अप्पाबहुगं ठाणाणि य जीवसमुहारो ।।2।। पदमीमांसा, संख्या, गुणकार, चौथा स्वामित्व, ओज, अल्पबहुत्व, स्थान और जीवसमुहार, ये आठ अनुयोगद्वार हैं ।।।2।।
चोइस बादरजुम्मं सोलस कदजुम्ममेत्थ कलियोजो । तेरस तेजोजो खलु पण्णरसेवं खु विष्णेया ।। 3 ।। यहाँ चौदह को बादरयुग्म, सोलह को औतयुग्म, तेरह को कलिओज और पन्द्रह को तेजोज राशि जानना चाहिये ।।3।।
पद भंग
तेरस पण णव पण णव दस दोबारस दसट्ठ अट्ठेव । छच्छक्कट्ठेव तहा सामण्णपदादिपदभंगा ।। 4 ।।
तेरह, पाँच, नौ, पाँच, नौ, दस, दो, बारह, दस, आठ, आठ, छह, छह तथा आठ, ये सामान्य पद आदि के पदभंग हैं ।। 4 ।।