Book Title: Dhavala Uddharan
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir
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धवला उद्धरण
268 137
115 183 168
23 256
222
उदओ च अणंतगुणो उप्पज्जति वियति य उप्पज्जति वियति य उप्पज्जति वियति य उप्पण्णम्मि अणंते उप्पणम्हि अणंते उल्लेवण विज्झादो उवजोगलक्खणमणाइ उवयरणदंसणेण य उवरिमगेवज्जेसु अ उवरिल्लपंचए पुण उवसमसम्मत्तद्धा उवसमसम्मत्तद्धा उवसामगो य सव्वो उवसंते खीणे वा उस्सासाउअपाण
27/6
8/1 29/4 90/9 24/9 60/1 1/16 46/13 227/2
6/7 21/8 31/4 32/4
4/6 191/1 83/9
72
152 159 115 115 129
60 181
ऋ
ऋषिगिरिरैन्द्राशायां
53/1
46
206 116
40
एइंदियस फुसणं एए छज्ज समाणा दोण्णि एक्क तिय सत्त दस तह एक्कम्मि काल-समए एक्कय छक्केक्कारस एकमात्रो भवेधस्वो एक्कारस छ सत्त य एक्कारसय तिसु
142/1 3/12 34/4 119/1
1/15 12/13 40/4 14/4
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