Book Title: Dhavala Uddharan
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 277
________________ धवला उद्धरण 272 45 169 45 214 187 41 कुक्खिकिमि-सिपि कुंडपुरपुरवरिस्सरसिद्ध कुंथु-पिपीलिक मंकुण कतानि कर्माण्यतिदारुणानि कृष्णचतुर्दश्यां यद्य केवलणाण-दिवायर केवलदसण-णाणे कोटिकोट्यो दशैतेषां कोटीशतं द्वादश चैव कोट्यो क्षणिकैकान्तपक्षेऽपि क्षायिकमेकमनंतं क्षेत्रं संशोध्य पुनः 136/1 28/9 137/1 10/13 108/9 124/1 37/4 31/13 67/9 7/15 46/9 103/9 117 236 178 249 173 186 ख 128 127 120 खय उवसमिय-विसोही खय उवसमो विसोही खवए य खीणमोहे खवए य खीणमोहे खवए य खीणमोहे खिदिवलयदीवसायर खीणे दंसणमोहि खीणे दंसण-मोहे खीणे दसण-मोहे खेत्तं खलु आगासं खंधं सयलसमत्थं 1/6 1/6 4/5 17/10 2/15 45/13 23/9 59/1 213/1 3/4 3/13 197 254 222 168 23 66 100 211 29 गइ-कम्म-विणिव्वत्ता गच्छकदी मूलजुदा 84/1 16/13 232

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