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धवला उद्धरण
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169 45
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कुक्खिकिमि-सिपि कुंडपुरपुरवरिस्सरसिद्ध कुंथु-पिपीलिक मंकुण कतानि कर्माण्यतिदारुणानि कृष्णचतुर्दश्यां यद्य केवलणाण-दिवायर केवलदसण-णाणे कोटिकोट्यो दशैतेषां कोटीशतं द्वादश चैव कोट्यो क्षणिकैकान्तपक्षेऽपि क्षायिकमेकमनंतं क्षेत्रं संशोध्य पुनः
136/1
28/9 137/1 10/13 108/9 124/1
37/4 31/13 67/9 7/15 46/9 103/9
117 236 178 249 173 186
ख
128
127 120
खय उवसमिय-विसोही खय उवसमो विसोही खवए य खीणमोहे खवए य खीणमोहे खवए य खीणमोहे खिदिवलयदीवसायर खीणे दंसणमोहि खीणे दंसण-मोहे खीणे दसण-मोहे खेत्तं खलु आगासं खंधं सयलसमत्थं
1/6 1/6
4/5 17/10
2/15 45/13 23/9 59/1 213/1
3/4 3/13
197 254 222
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गइ-कम्म-विणिव्वत्ता गच्छकदी मूलजुदा
84/1 16/13
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