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धवला पुस्तक 4
111 उन तीन हजार सात सौ तेहत्तर (3773) उच्छ्वासों का एक मुहूर्त कहा जाता है।।10।। निमेषाणां सहसाणि पंच भूयः शतं तथा। दश चैव निमेषाः स्युमुहूर्ते गणिताः बुधैः ।।11।।
विद्वानों ने एक मुहूर्त में पाँच हजार एक सौ दश (5110) निमेष गिने हैं।।11।।
__ पन्द्रह प्रकार के मुहूर्त रोद्रः श्वेतश्च मैत्रश्च ततः सारभटोऽपि च। देत्यो वैरोचनश्चान्यो वैश्वदेवोऽभिजित्तथा।।12।। रोहणो बलनामा च विजयो नैऋतोऽपि च। वारुणश्चार्यमा च स्युर्भाग्यः पंचदशो दिने।।13।।
1 रौद्र, 2 श्वेत, 3 मैत्र, 4 सारभट, 5 दैत्य, 6 वैरोचन, 7 वैश्वदेव, 8 अभिजित.9 रोहण. 10 बल. 11 विजय, 12 नैऋत्य, 13 वारुण, 14 अर्यमन् और 15 भाग्य। ये पंद्रह मुहूर्त दिन में होते हैं।।12-13।।
सावित्रो धुर्य संज्ञश्च दात्रको यम एव च। वायुहुताशनो भानु जयन्तोऽष्टमो निशि।।14।। सिद्धार्थः सिद्धसेनश्च विक्षोभो योग्य एव च। पुष्पदन्तः सुगन्धर्वो मुहूर्तोऽन्योऽरुणो मतः ।।15।।
1 सावित्र, 2 धुर्य, 3 दात्रक, 4 यम, 5 वायु, 6 हुताशन, 7 भानु, 8 वैजयन्त, 9 सिद्धार्थ, 10 सिद्धसेन, 11 विक्षोभ, 12 योग्य, 13 पुष्पदन्त, 14 सुगन्धर्व और 15 अरुण।।14-15।।
समयो रात्रिदिनयो मुहूर्ताश्च समा स्मृताः। षण्मुहूर्ता दिनं यान्ति कदाचिच्च पुनर्निशा।।16।। रात्रि और दिन का समय तथा मुहूर्त समान कहे गये हैं। हाँ, कभी दिन