________________
१४ राजोक
सिद्ध शिला
यक
लोक
यदिए जान
सर्व लो के
देव
लोकान्तिक
मूम्बधि
बारह
न किल्बिधिक
PARAN
तिर्य ग् लोक
चर-स्थिर ज्योतिक द्विपसमुद्र
Travel
अंतर
दिपसगुनक 3
अ धो
RAMA
नरक
लो
লন, ৫।
Sangam
क
नरक
१० भवन पति
नरक
लोकाकाश
नरक७00gan
| उदय
९ो सफा भकाभकर वैध में लोकामा है
कामे चार दिनकर तिबंधा मनुश्व
लोकमामलमन मे पैदह सऊदी भास
भाम विषम प्रारे होने से निष्कर है।।
नारी है.
मनिश्री गणरत्नविजयजीर की रोगार यो श्री जैन स्पध मांडवला द्वारा निर्मित ।
Jaih Education International
For Personal & Private Use On
wwwjainelibrary