Book Title: Chitramay Tattvagyan
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 34
________________ प्राणातिपात विरसम सुभावाद विरमण महावत पूर्व त्या है। Away fam Testern स NARERANA आत्मा के भेद कितने है? आत्मा अदत्तादानविरमण महानत व्रत परमात्मा CAL PARA अणुव्रत ४ मैथुन ಎ दि दिव भारतद्वारा विरमण महावन आदि यम है। Jain Education International 4 परिग्रह विरसभ मव्रत गुणव्रत सर्व निरत (मुक्ति) अन्तरात्मा देशविस्त ४ शिक्षाव्रत किस द्वेष से भी कई शकि இனிக் For Personal & Private Use Only अस्यष्टि औपशासिक सम्यक्त्व बहिरात्मा शरीर को आत्मा का स्वरूप मानता है। Swan * हुई आत्मा बी Kollath www.jainelibrary.org

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