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मिथ्यात्व के उदय होने से १ ला गुणस्थानक
→ आमालविच्छेद ९९१ + उदीरणाविच्छेद ९९६
उपशमसभ्यकत्व प्रथम समय:००
संख्येय भागा
चित्रमय तत्वज्ञान
७०००
- १००% समयअनिवृत्तिकरणम्
मिथ्यात्वमोहनीय
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१० से १००० प्रथमस्थिति
औत्समिक सम्यकत्व काल १००१ से ५००० यानी ४००० समय अन्तकरण
द्वितीय स्थिति - C मिश्रमोबनाय 50
मिथ्यात्व के कर्म प्रदेशों का अनुभव करना न पड़े। डाल देता है जिससे अनिवृत्तिकरण का पूर्णाहूति के बाद उसे में व द्वितीय स्थिति यानी अन्तरकरण के ऊपर की स्थिति में
88909858000000
: सम्यकत्तलमोहनीय :.:.
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४०।
९०१
मिश्रमोहनीय मोहनीय कर्म का
'उदय होने से ३ रा गुणस्थानक सम्यकत्व मोहनीय का उदय होने से क्षायो प शमिक सम्यकत्व वाला ४ था गुणस्थानक