Book Title: Chitramay Tattvagyan
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 108
________________ positive), neutrons (electrically neutral) and electrons (electrically negative). The nucleus of hydrogen for example has one proton, the nuclues hellium has two protons (and usually two neutrons), and so on up the ladder of nature's 100 kinds of atoms. (Reader's Digest). इसलिये हम आधुनिक वैज्ञानिक अणु को व्यवहारिक परमाणु कहते हैं | क्योंकि यह व्यवहारिक परमाणु तात्विक दृष्टि से तो अनन्त परमाणुओं का जत्था है यानी स्कंध है । जैन दर्शन ने परमाणु की व्याख्या की है कि केवलज्ञानी दृष्टि से भौतिक पदार्थ का छोटे से छोटा अंश, जिसके दो विभाग न हो सके, वह परमाणु कहलाता है । ऐसे दो परमाणु जुडते है, तब द्विप्रदेशी स्कन्ध कहा जाता हैं । तीन परमाणु जुडते हैं, तबत्रि प्रदेशी स्कन्ध कहा जाता है। इसी प्रकार संख्यात प्रदेशी, असंख्यात प्रदेशी व अनन्त प्रदेशी स्कन्ध बनते हैं । ऐसे अनन्त प्रदेशी स्कन्ध जैन | दर्शन के अनुसार ओक प्रोट्रोन, इलेक्ट्रोन व न्यूट्रोन में होते हैं । इसलिये वैज्ञानिक परमाणु में जैन दर्शन के अनन्त परमाणु होते हैं । - इसी प्रकार जर्मन विद्वान अन्ड्रड ने २९ ग्राम पानी में ३ अरब मनुष्य प्रति मिनट ३०० की रफतार से ४० वर्ष तक गिनते रहे, उतने मोलक्यूल्स (परमाणु का जत्था = स्कन्ध) कहे हैं । जैन दर्शन कहता है कि उस ओक ओक मोलेक्यूल्स में अनन्त परमाणु होते हैं । : अक घन इंच वायु में ४४२४ के ऊपर १७ बिंदियाँ ४४२४ ००००००००००००००००० लगा दी जाए, उतने स्कन्ध होते हैं। जैन दर्शन कहता है, उतने अक स्कन्ध में अनन्त परमाणु होते हैं। .. हम ओक बार श्वास लेते हैं । उसमें १ के ऊपर बाईस बिंदियाँ १ ००००००००००००००००००००० लगावे, उतने कार्बन अणु-होते हैं । जैन दर्शन से उसके ओक अणु में अनन्त परमाणु होते हैं । चित्रमय तत्वज्ञान ७3 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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