Book Title: Chitramay Tattvagyan
Author(s): Gunratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

View full book text
Previous | Next

Page 111
________________ योग कषाय प्रमाद अविरति नव तत्त्व Trech जीव-सरोवर कर्म-पानी Jain Education International अयोग विरति, सम्यकत्व• पुण्य-शुद्ध पानी पॉप-अशुद्ध पानी Pl Fiddled UPAY मोक्ष • अप्रमाद भाप बनकर उड़ता है पुण्य-पाप का पानी निलो मता क्षमा नम्रता-सरलता पूज्य मुनिश्री गुणरत्नविजयजी म. के सदुपदेश से रोहीडा निवासी शा. केशरीमलजी दुलीचंदजी के उजमणा के निर्मित से निर्मित For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 109 110 111 112 113 114