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८ क्या वनस्पति (पेड पौधों) में जीव होता है
जैसे हमें पानी वगैरह मिलने से हम जीवित रहते हैं और बढ़ते हैं व न मिलने पर दुबले पतले होकर मर जाते हैं, वैसे ही पेड़ पौधे आदि वनस्पति को भी पानी वगैरह मिलने से वे जिन्दा रहती है व न मिलने पर मुरझा कर सूख जाती है । कभी कभी पानी वगैरह मिलने पर भी आयुष्य पूर्ण होने पर भी सूख जाती है, जैसे हम भी आहार वगैरह . मिलने पर भी आयुष्य पूर्ण होने पर मर जाते हैं ।
ढाई हजार वर्ष तक वैज्ञानिक वनस्पति में जीव नहीं मानते थे। परंतु जब डॉ. जगदीशचन्द्र बोस ने दो सौ वर्ष पहले केस्कोग्राफ यन्त्र से सिद्ध करके बताया कि वनस्पति के अन्दर जीव है (Vegetables have lives) तब से पेड़ पौधे व वनस्पति में भी वैज्ञानिक जीव मानने लगे हैं।
- पेड़ पौधों को भी निद्रा, लज्जा, हर्ष, शोक वगैरह होते हैं । जब लाजवंती वनस्पति के पास मनुष्य जाता है, तब वह सिकुड जाती है । इतना ही नहीं, कुछ वनस्पतियाँ जीवभक्षी भी होती है और उन्हें भावों का पता चलने पर वे भक्षण कर लेती है | जैसे नार्थ अमेरिका में वीनस नाम का पौधा है । उसके पत्ते पर जब मधु मक्खी वगैरह बैठती है, तब वह पौधा अपने पत्ते सिकुड कर उसे घेरने लगता है । घेर कर उसको मार डालता है और कलेवर को पत्ते खोल कर फेंक देता है।
इंग्लैंड में सनड्यु नाम के पौधे पर लाल रंग के रोयें होते हैं । उनके ऊपर पीले रंग का पदार्थ होता है । उस पर जब कोई मधु मक्खी बैठती है, तो लाल रोयें उसे घेर कर चूस लेते हैं । आश्चर्य की बात तो यह है कि पानी की बूंद या कंकर वगैरह उन पर गिरने से कोई प्रतिक्रिया नहीं होती।
नोर्थ अमेरिका में पीचर पलान्ट नाम का पौधा है । अपने भोजन योग्य कीडा अन्दर आने पर वह वापस निकलने की सहायता बंध कर देता है और अपने द्रव में पचा लेता है।
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चित्रमय तत्वज्ञान
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