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ऊध्वलोक
लोक ←
छलोक)
अधोलोक
१० - राज ११ - राज १२- राज १३- राज १४- राज
९ - राज
७ राज ८ राज
६ - राज
राज
४- राज
امر
१ राज २ राज ३
चौदह राजलोक
११ राज
१० राज
१२ राज
ऊर्ध्वलोक
चर-अचर ज्योतिष देव.
अनंत-सिद्ध
मेरु पर्वत
असंख्यात द्वीप-समृद्र मध्य लोक में है ।
सातवीं नरक पृथ्वी के नीचे
लोक की लंबाई चौडाई
१ राज
२ राज
१३ राज
ल ३ किल्बिषिक देवो के स्थान | नव लोकान्तिक देवों के स्थान.
सनतकुमार
५ राज
जयंत वैजयंत
१४ राज
आरण
आनत
वैमानिक देवलोक
८ राज
सौधर्म
19 राज
000 000 000
1 ल
000000 000
G0000
3 BA
आकाश
२-शर्कशप्रभा
४-पंक प्रभा धनोदधि धनवात
तनुवात
आकाश
|१२ ←-- • अच्युत
प्राणत
आकाश
३. वालुका प्रभा
धनोदधि घनवात
तनुवात
आकाश
५- धूमप्रभा
धनोदधि
•महाशुक्र
लांतक
[4] ब्रह्मलोक
माहेन्द्र
धनवात
तनुवात
आकाश
←
६-तमः प्रभा
धनोदधि
धनवात
तनुवात
आकाश
अप
राजित सर्वार्थ
तनुवात
आकाश
४ राज
७-तमस्तमः प्रमा
धनोदधि
धनवात
४ राज
• सहस्रार
ईशान
ऊर्ध्वलोक
१३ राज
८ राज
३ राज
५ राज
(१) इस लोक के बाहर चारों ओर अलोक (अलोकाकाश) है । (२) १ से ७ वी नरक पृथ्वी क्रमशः १ से ७ राज लंबी चौडी है ।
मोक्षस्थान सिद्धशिला (४५ लाख योजन लंबी-चौडी) पांच अनुत्तर
वैमानिक देवलोक
Pro
१२ राज
←
११ राज
१० राज
भवनपति, व्यंतर वाण व्यंतर
१ली - नरक की पृथ्वी एक राज लंबी-चौडी
← २ री नरक
Lo
←
चौड़ाई
५ राज
३ री नरक
س
← ४ थी नरक
-
4५ वी नरक
- त्रस नाडी १ राज लंबी चौडी -
१४ राज ऊंची है । ६ ठ्ठी नरक
गोलाकार में ७ राज है ।
१ राज असंख्यात योजन ६ राज
७ राज
-
← ७ वी नरक
(३) यह १४ राजलोक का चित्र बृहत्संग्रहणी आदि ग्रंथो के अनुसार बताया है। इसके बाद जीव समास
आदि ग्रंथ के अनुसार आगे दिया है।
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