________________
सिखाता है: गलती हो गई तो दो क़दम आगे बढ़ाकर माफ़ी मांगो और गले लगाओ। अतीत जो भी रहा, भविष्य को मिठास से भर लो ।
■ आजकल मकान तो बहुत बड़े होते जा रहे हैं, पर मकान में रहने वालों के दिल छोटे हो रहे हैं। हम अपना दिल इतना तो बड़ा कर ही सकते हैं कि हमारे माता-पिता को किसी वृद्धाश्रम में शरण लेने की ज़रूरत न रहे ।
एक सम्पन्न व्यक्ति होने के नाते समाज में चंदा लिखाने से पहले अपने उस सगे भाई की मदद कीजिए जो केवल साढ़े चार हज़ार की नौकरी करता है और जिसके पास अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने की व्यवस्था नहीं है।
■ वह भाई कैसा, जो भाई के काम न आए। राम का पिता
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org