Book Title: Charge kare Zindage
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation
Catalog link: https://jainqq.org/explore/003876/1

JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री चन्द्रप्रभ चार्ज कवें ज़िंदगी CHARGE YOUR DAILY LIFE www.jainelibrarycorg Jain Educationa international Fon Personal and Private Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ wwwwwwwwwwwwww wwwwwwwwwwwww Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ charging RA चार्जकरें जिंदगी श्री चन्द्रप्रभ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चार्ज करें जिंदगी श्री चन्द्रप्रभ प्रकाशन वर्ष : जनवरी 2011 प्रकाशक : श्री जितयशा फाउंडेशन बी-7 अनुकम्पा द्वितीय, एम.आई.रोड, जयपुर (राज.) आशीष : गणिवर श्री महिमाप्रभ सागर जी म. मुद्रक : हिन्दुस्तान प्रेस, जोधपुर मूल्य : 25/ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Charging लाँग लाइफ चार्ज करने वाली पुस्तक जीवन ईश्वर के घर से मिला हुआ वह दहेज़ है जिसे पाने के लिए हमें कुछ करना नहीं पड़ा, बल्कि उपहार की तरह हम यह ख़ज़ाना अपने साथ लाए हैं। ईश्वर ने हमें यह जीवन इस आशा के साथ दिया है कि हम इसका अच्छे से अच्छा उपयोग करेंगे। जीवन के दिन बीत रहे हैं और यह दिन-ब-दिन डिस्चार्ज हो रहा है। हमें इसे चार्ज करना है - अच्छे लक्ष्य को लेकर, अच्छे रास्तों की ओर क़दम बढ़ाकर। हमें Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपना जीवन इस तरह जीना है कि हमारा हर दिन हमारे लिए हैप्पी बर्थडे बन जाए। महान जीवन-द्रष्टा पूज्य श्री चन्द्रप्रभ के हर वचन हमारे जीवन की बैटरी को चार्ज करते हैं, एक नई दिशा, एक नया जोश भरते हैं। हमें अपना जीवन इस तरह जीना है कि गुरुदेव द्वारा दी गई इस पुस्तक का हर पन्ना हमारे जीवन में संस्कार और समृद्धि की एल.आई.सी. निर्धारित करता है। प्रस्तुत पुस्तक हमारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी के लिए सीढ़ी-दर-सीढ़ी की तरह है। जब भी आपको लगे कि आप नकारात्मक भावों से घिरे हैं, जिंदगी की थकावट से घिरे हैं, बस पुस्तक का कोई भी पाठ पढ़ डालिए। आपको लगेगा आपकी ज़िदंगी चार्ज हो गई है। यह पुस्तक आपके लिए किसी मील के पत्थर का काम करेगी जो दिखाएगी आपको आगे बढ़ने का रास्ता। इस पुस्तक का हर वचन आपके लिए चार्जर का काम करेगा जो देगा आपको जिंदगी की ऊर्जा भरी लाँग लाइफ़ बैटरी। प्रकाश दफ्तरी Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चार्ज कने के स्टेप्स 9-13 14-19 20-24 25-28 29-32 33-36 1. घर को बनाएँ अपना मंदिर 2. कैसे सुधारें बच्चों का भविष्य 3. बच्चों के लिए क्या करें? 4. स्त्री रहिए, इस्त्री मत बनिए 5. पत्नी गृहलक्ष्मी तो पति गृहपति 6. कुछ ऐसा करें कि ... 7. मुन्ना भाई ! लगे रहो लगन से 8. कहीं आप असफल तो नहीं 9. किस्मत की जमीन पर मेहनत का पेड़ लगाइए 10. सीखें कि कैसे पाएँ सफलता 11. आर्थिक चिंताओं से छुटकारा पाने के 14 नियम 12. शक्ति पाने के 12 नियम 37-41 42-45 46-49 50-54 55-59 60-63 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 13. आपके व्यवहार से किसी को असंतोष तो नहीं? 64-67 14. कैसा करें व्यवहार कर्मचारियों से 68-71 15. क्रोध आने पर क्या करें? 72-76 16. जीवन में खिलाएँ हँसी के फूल 77-79 17. बातें काम की, ज्ञान की और जुबान की 80-83 18. क्यों जिएँ धर्म के उसूल ? . 84-87 19. क्या प्रार्थनाओं का जवाब मिलता है ? 88-91 20. साँसों के समुद्र में डूबते जाएँ 92-95 21. क्या मांगें प्रभु से? 96-99 22. ऐसा हो संकल्प 100-104 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ घर को बनाएँ अपना मंदिर - WASINIDHAARENTINES FaMIS T ANI-06MADA - परिवार प्रभु का मंदिर है। माता-पिता उस ब्रह्माविष्णु-महेश की तरह हैं जो हमें जन्म देते हैं, पालन करते हैं, हमें अपने पाँवों पर खड़े रहने के योग्य बनाते हैं। • हमारे भाई-बहिन उन देवदूतों की तरह होते हैं जो हमारे लालन-पालन और हँसी-खुशी में हमारा सहयोग करते हैं। - परिवार का मतलब है: Family और फेमिली का मतलब है: F=Father, A= AND, M = Mother, I = I, L= Love, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Y= YOU अर्थात् फादर एण्ड मदर आई लव यू। जिस घर में माता-पिता से प्रेम और उनका सम्मान होता है, उसी का नाम परिवार है। - कितना अच्छा हो कि हम दो भाइयों के बीच 1X1, 1+1, 1-1 करने की बजाय वैर-विरोध और स्वार्थ के सारे x + - हटा दें तो यही दो भाई 11 (ग्यारह) की ताकत नज़र आने लग जाएँगे। जिस घर में भाई-भाई, सास-बहू, देवरानी-जेठानी के प्रति प्रेम और समरसता होती है वह घर मंदिर की तरह होता है, पर जहाँ भाई-भाई, पिता-पुत्र आपस में नहीं बोलते, वह घर कब्रिस्तान की तरह होता है। कब्रिस्तान की कब्रों में भी लोग तो रहते हैं, पर वे आपस में बोलते नहीं, अगर घर की भी यही हालत है तो कब्रों और कमरों में फ़र्क ही कहाँ रह जाता है। - प्रेम ही परिवार की ताकत है, प्रेम ही समाज का धर्म है और प्रेम ही राष्ट्रों को जोड़ने वाला सेतु है । प्रेम हमें Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिखाता है: गलती हो गई तो दो क़दम आगे बढ़ाकर माफ़ी मांगो और गले लगाओ। अतीत जो भी रहा, भविष्य को मिठास से भर लो । ■ आजकल मकान तो बहुत बड़े होते जा रहे हैं, पर मकान में रहने वालों के दिल छोटे हो रहे हैं। हम अपना दिल इतना तो बड़ा कर ही सकते हैं कि हमारे माता-पिता को किसी वृद्धाश्रम में शरण लेने की ज़रूरत न रहे । एक सम्पन्न व्यक्ति होने के नाते समाज में चंदा लिखाने से पहले अपने उस सगे भाई की मदद कीजिए जो केवल साढ़े चार हज़ार की नौकरी करता है और जिसके पास अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने की व्यवस्था नहीं है। ■ वह भाई कैसा, जो भाई के काम न आए। राम का पिता Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ के काम आना, सीता का राम के काम आना, लक्ष्मण का भाई-भाभी के काम आना और भरत का बड़े भाई के लिए मिट जाना – यह है धर्म, परिवार का धर्म, गृहस्थ का धर्म। पति-पत्नी के सुखमय जीवन के लिए चार फार्मूले हैं :1. विश्वास 2. वार्तालाप 3. समय का भोग और 4. एक-दूसरे से प्यार। आप इन चार फार्मूलों को अपनाइए और अपने गृहस्थ-जीवन को खुशहाली का ज़ामा पहनाइए। सोचिए, साथ क्या जाएगा? जब सब यहीं छोड़ निकलना है तो फिर क्यों न प्यार से बोलें, स्वार्थ छोड़ें, एक-दूसरे के काम आने की भावना विकसित करें। • घर में बड़े वे नहीं हैं जिनकी उम्र बड़ी है, घर में बड़े वे होते हैं जो वक़्त पड़ने पर अपनी कुर्बानी देकर अपना बड़प्पन निभाते हैं। • बेटी लक्ष्मी है और बहू गृहलक्ष्मी। लक्ष्मी चंचला है और - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 13 गृहलक्ष्मी स्थायी । गृहलक्ष्मी को इतना प्यार दीजिए कि घर से गई लक्ष्मी की याद न सताए । सुबह उठने पर माता-पिता के चरण स्पर्श कीजिए और भाई-भाई गले मिलिए, यह ईद का त्यौहार बन जाएगा। दोपहर में देवरानी-जेठानी साथ-साथ खाना खाइए, यह होली का पर्व बन जाएगा। रात को बड़े-बुजुर्गों की सेवा करके सोइए, आपके लिए आशीर्वादों की दीवाली हो जाएगी। परिवार में अगर धन का बँटवारा हो तो आप ज़मीन-जायदाद की बजाय, माता-पिता की सेवा को अपने हिस्से में लीजिएगा। धन तो उनके आशीर्वादों से स्वतः चला आएगा। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कैसे सुधारें बच्चों का भविष्य • आपका बच्चा आपके घर का कुलदीपक है, आपके भविष्य का सहारा है और आपके बुढ़ापे की बैशाखी है। वह आपके परिवार की किलकारी, समाज का सेतु और देश का भविष्य है। ■ एक पिता सौ अध्यापकों की पूर्ति करता है। वह अपने बच्चों को संस्कारों की सम्पदा सौंपकर उन्हें दस पाठशालाओं से अधिक जीवन के पाठ पढ़ा सकता है। यदि हम बच्चों के मोह में अंधे होकर धृतराष्ट्र बन बैठे, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only 14 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तो सावधान ! हमें भी दुर्योधन और दुःशासन जैसी कुलघाती संतानों का सामना करना पड़ सकता है । बच्चे उस कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं जिन्हें हम जैसा चाहें वैसा ढाल सकते हैं। उनके विकास में भाग्य की भूमिका केवल 30% होती है, पर प्रयास का परिणाम 70% आया करता है। प्रयास 100% हों तो 30% वाले भाग्य को भी अनुकूल बनाया जा सकता है। यदि आप एक पिता हैं तो अपनी संतान को इतना योग्य बनाएँ कि वह समाज की प्रथम पंक्ति में बैठने के काबिल बने और यदि आप किसी के पुत्र हैं तो इतना अच्छा जीवन जिएँ कि लोग आपके माता-पिता से पूछने लगें कि आपने कौन-से पुण्य किये थे जो आपके घर ऐसी संतान पैदा हुई। 15 ARE BEST BOOKS, Jain Educationa International FRIENDS OF CHILDREN. For Personal and Private Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ • टीवी के युग में अब बच्चे माँ-बाप पर नहीं, कोई कार्टून टीवी पर जा रहा है तो कोई जी टीवी पर, तो कोई फैशन टीवी पर । यदि हमने इस टीवी के डिब्बे पर चलने वाले चैनलों से अपने बच्चों को न बचाया तो ये डिब्बे हमारे घर-परिवार के संस्कारों पर लादेन के हमलों से कहीं अधिक ख़तरनाक हमले कर बैठेंगे। बच्चों को सही दिशा मिल जाए तो ये किसी अब्दुल कलाम के व्यक्तित्व को चरितार्थ कर सकते हैं, नहीं तो ग़लत दिशा मिलने पर ये ही ओसामा लादेन का नकाब पहन बैठेंगे। बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए अपने परिवार का माहौल अच्छा बनाएँ, क्योंकि परिवार ही बच्चे की वह पहली पाठशाला है जहाँ उसे जीवन के हर क्षेत्र का पहला पाठ तथा पहला संस्कार उपलब्ध होता है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ■ अपने बच्चों को अच्छे विद्यालयों में पढ़ाएँ, पर ऐसे विद्यालयों में न पढ़ाएँ जहाँ पर संस्कारों की कुर्बानी देनी पड़ती हो। • अपने बच्चों को लाइफ़ मैनेजमेंट के गुर सिखाएँ ताकि वे कब उठना, क्या पहनना तथा कैसे खाना जैसी ज़रूरी बातों का प्रबंधन पहले सीख सकें। ■ अपने बच्चों में प्रतिदिन बड़ों को प्रणाम करने की आदत डालें। प्रणाम तो दुश्मन को भी करेंगे तब भी बदले में दुआओं की दौलत ही उपलब्ध होगी। 17 बच्चों को उनके जीवन में सही लक्ष्य चुनने में मदद करें। बिना लक्ष्य का जीवन तो उस कटी पतंग की तरह होता है जिसे कोई भी राहगीर कंटीली झाड़ी में फँसा सकता है। 'अर्जुन की आँख' ही हर सफलता तक पहुँचने की सीढ़ी है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपने बच्चों में आत्मविश्वास जगाएँ। उन्हें प्रेरणा व प्रोत्साहन दें। प्रेरणा और प्रशंसा पाकर तो चींटी भी पहाड़ लाँघ जाया करती है और अन्धी-गूंगी-बहरी बच्ची भी महान चिन्तक हेलन केलर बन जाया करती है। अपने बच्चों को दादा-दादी के छाँव तले पलने दीजिए। आप तो, बच्चे स्कूल जाते हैं तब तक सोये रहते हैं और आप घर लौटकर आते हैं तब तक बच्चे सो जाते हैं। इसलिए दादा-दादी के अनुभवों से बच्चों को संस्कारित होने दीजिए। बुजुर्ग फल भले ही न दे पाते हों, पर अपने अनुभवों की छाँव तो अवश्य देंगे। बच्चों को कहानियाँ प्रिय हैं। उन्हें रामायण, महाभारत, श्रवणकुमार, प्यासा कौआ, शेर और चूहा, कछुआ और खरगोश की कहानियाँ सुनाया करें। एक अच्छी कहानी सौ उपदेशों से कहीं अधिक प्रभावी होती है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बच्चों के अभद्र व्यवहार, बुरी आदत और गलत संगत पर अंकुश रखें। कहीं ऐसा न हो कि आप उन्हें महाविद्यालय भेज रहे हों, पर वे गलत संगत के कारण किसी तरह के अपराधी या बलात्कारी बन जाएँ और कारागार में चक्की पीसने के अलावा उनके पास कोई भविष्य ही न बचे। बच्चे आपके कहे पर गौर करें या न करें, पर वे आपकी भाषा, आदत तथा तौर-तरीकों को जीवन में ढालने से नहीं चूकेंगे। आप अपने से छोटों का भी सम्मान करें। अपनी पत्नी और अपने नौकर तक को भी 'आप' तथा नाम के साथ 'जी' लगा कर बोलें ताकि आपका बच्चा 'सम्मान' की मान-मर्यादा सीख सके। Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बच्चों के लिए क्या करें ? ■ दादा-दादी और नाना-नानी एक ऐसे सघन वृक्ष की तरह हैं जिसकी छाँव तले बच्चे आनन्दित, संस्कारशील और आशावादी होते हैं । ■ दादा अनुभवों के ख़ज़ाने हैं जिनके साथ रजाई में बैठकर रोज़ नई-नई कहानियाँ सुनने को मिलती हैं। दादी बच्चों को सबसे ज़्यादा लाड़-प्यार करती है । नानी बच्चों की सबसे. प्रिय मित्र होती है जो कि उसकी हर बात सुनती है। जबकि नाना वे हैं जो कहा करते हैं, 'आजकल दुबला होता जा रहा है । चल, जूस पी ले। ' 20 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ■ बच्चे तो प्यार, हँसी, समय, कहानी और खेल के भूखे होते हैं और बुज़ुर्गों के पास इन चीज़ों का भंडार है । वे बच्चे किस्मत वाले हैं जिन्हें दादा-दादी और नाना-नानी से यह ख़ज़ाना मिलता है । ■ बच्चों का घर बच्चों के लिए सबसे प्रिय मंदिर होता है । घर का स्वरूप ऐसा बनाएँ जिससे उन्हें प्रकृति, परमात्मा और अच्छे संस्कारों की सहज प्रेरणा मिल सके। ■ घर की दीवारों पर हमेशा प्रेरक और प्रभावी चित्र टाँगिए, क्योकि बच्चे नकलची बंदरों की तरह होते हैं। अगर वे घर में विवेकानंद का चित्र देखेंगे तो वैसा बनने की कोशिश करेंगे, वहीं यदि चार्ली चैपलिन का चित्र देखेंगे, तो वैसी नकल करना शुरू कर देंगे । 21 बच्चों को खेलने का भी अवसर दीजिए। जो ख़तरों से नहीं खेलेगा, वह जीवन में आगे कैसे बढ़ेगा ? Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बच्चों पर समय का निवेश भी कीजिए। आप उन्हें 20 साल तक संस्कार दीजिए, वे आपको 80 साल तक सुख देंगे। बच्चों को धर्म का ज्ञान कराएँ ताकि वे ग़लत राह पर जाने से बच सकें। हर सुबह घर के बुजुर्गों व अभिभावकों के पाँव छूने के लिए प्रेरित करें ताकि मेहमानों को प्रणाम करने के लिए बार-बार टोकने की ज़रूरत न रहे। पत्नी, बहु और घर के सेवकों से भी प्यार से बोलें, नाम के साथ 'जी' लगाकर पुकारें, बच्चे अपने-आप अदब की भाषा सीख जाएँगे। बच्चों को घर का बना भोजन करने के लिए उत्साहित करते. रहें। खाने की चीज़ों के बच्चों के मनपंसद नाम रखें जैसे : अंकुरित मूंग को पूँछ वाली दाल कह सकते हैं और मिस्सी रोटी को पावर पराठा। बच्चों से कहें कि पूँछ वाली दाल से पावर पराठा खाकर तुम सुपर मैन और हैरी पॉटर बन सकते हो। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - बच्चों को मिठाइयाँ, चॉकलेट, चिप्स, शीतल पेय विशेष अवसरों पर दें। इनका रोज़ाना सेवन करने से बच्चों की भूख मर जाएगी और दाँत भी खराब होंगे। बच्चों को फल, जूस, सलाद की ओर खींचें। उन्हें बताएँ कि फल खाने से तुम 'शक्तिमान' बनोगे और दूध पीने से हनुमान'।। खाना खाते समय टी.वी. बंद रखिए। टी.वी. चलाने के लिए शाम का एक समय निर्धारित कर लीजिए। दिनभर टी.वी. देखने से बच्चों की आँखें कमज़ोर होती हैं और पढ़ाई भी कम हो पाती है। बच्चों के लिए चित्रकथाएँ ज़रूर खरीदते रहिए। कहानियाँ और चित्र दोनों ही बच्चों को पसंद होते हैं। जो प्रेरणा एक छोटी-सी कहानी से मिलती है, वह बड़े-बड़े उपदेशों से भी नहीं मिल पाती। Homen Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बच्चों पर प्यार भरा अनुशासन रखें। उन्हें एक स्वतंत्र मुक्त पौधे की तरह बढ़ने दें। ज़्यादा टोका-टोकी करके यदि हम पौधे की टहनियाँ काटने की कोशिश करेंगे तो वे एक स्वस्थ पौधे की बजाय बौना पौधा बनकर रह जाएँगे। बच्चों को लाड़ करें, पर इतना भी नहीं कि वे बिगडैल और जिद्दी बन जाएँ। बच्चों को गुस्सा आ जाए, तो बुरा न मानें। वे बाल-बुद्धि हैं, उन्हें बताएँ कि गुस्सा करने से दिमाग़ और भाग्य दोनों कमज़ोर हो जाते हैं। उन्हें प्यार से समझाएँ, वे समझ जाएँगे। । बच्चों की प्रतिभा आपके जीवन की सबसे बड़ी दौलत है। आप अपने बैजू बावरा की प्रतिभा पहचानें और उस प्रतिभा को निखारने में उसे पूरा-पूरा सहयोग और आशीर्वाद दें। 10/NEPAL 107 10 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्त्री रहिए इस्त्री मत बनिए ● आपके पति आपके जीवन-रथ के सारथी और संचालक हैं। वे आपके माथे के सिंदूर, जीवन के सौभाग्य, करवा चौथ का व्रत और दिल के देवता हैं। अपने पति के दिल को जीतना उतना ही ज़रूरी है, जितना भक्त के लिए भगवान के दिल को जीतना । अपने पति की दूसरों से तुलना मत कीजिए। वे जैसे भी हैं आपकी भाग्य रेखा के हिस्से हैं । उन पर संतोष और गौरव कीजिए | आख़िर कोई भी दो अंगुलियाँ एक जैसी नहीं होतीं । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - आप अपने पति की तितली नहीं, एक अच्छी सचिव बनिए । तितली केवल फूलों पर मंडराती है, जबकि आप उनकी सचिव और प्रेरणा-स्रोत बनकर उन्हें फूलों की तरह खिलने में मदद कीजिए । अपने पति की कमियाँ मत निकालिए। यदि आप ऐसा करेंगी तो वे आपके लिए काँटा बनकर आपको ही बींधेंगे, पर यदि आप उनकी गर्दन ऊँची करने में मदद करेंगी, तो वे और अधिक ऊँचे हो जाएँगे । अपने पति पर झल्लाइए मत। वे दूसरों से सौ-सौ लड़ाइयाँ झेल सकते हैं, पर आपकी रोज़-रोज़ की टी-टीं बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। पति का दिल जीतना है, तो उन्हें अपना प्यार, सम्मान और ख़ुशियाँ बाँटते रहिए । अपने घर को प्रेम और शांति का मंदिर बनाइए । पति साँझ को घर लौटे तो उनके सामने दिनभर की शिकायतों का Jain Educationa International For Personal and Private Use Only 26 Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुलिंदा खोलने की बजाय मुस्कुराते हुए उनके घर आने पर ख़ुशी जाहिर कीजिए। उन्हें अपनी बात तहज़ीब से कहें और वह भी तब जब वे आराम कर चुके हों। अपने घर को तोडिए मत, टूटे हुए दिलों का आपस में जोड़िए । कुलवधु और गृहलक्ष्मी बनकर परस्पर प्रेम और संप बढ़ाने की प्रेरणा दें और सास-ससुर की सेवा को अपने माता-पिता का सम्मान समझें। अपने पति को धन कमाने की प्रेरणा दीजिए, पर बेईमान बनने की नहीं। बेईमानी करके वे आपके लिए हीरों की चूड़ियाँ तो बना देंगे, पर कहीं ऐसा न हो कि उनके हाथों में लोहे की हथकड़ियाँ आ जाएँ। यदि आपके मित्र कृष्ण जैसे हों, तो सौभाग्य ! वे सुदामा के काम आएँगे, पर यदि मंथरा जैसे हों तो आज ही उनसे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुक्ति पा लीजिए, नहीं तो वे कभी भी आपके लिए मुसीबत की तलवार बन सकते हैं । यदि आपके पति गुटखा, तम्बाकू, शराब का सेवन करते हैं तो उनसे झगड़ने की बजाय अपनी श्रेष्ठ बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए इन चीज़ों के दोष समझाइए | उन्हें बताइए कि वे एक ऐसे पति की भूमिका निभाएँ, जिन पर उनके बच्चे गर्व कर सकें । आप अपने पति के साथ इस तरह व्यवहार कीजिए कि जैसे रानियाँ महाराजाओं के साथ किया करती थीं । विश्वास रखिए तब आपके पति भी आपके साथ वही व्यवहार करेंगे जैसे आप उनकी नूरजहाँ हो । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only 28 R Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पत्नी गृहलक्ष्मी तो पति गृहपति आपकी पत्नी आपके दिल की देवी, मनमीत और जीवन के हर क़दम पर सुख-दुःख की सहधर्मिणी है। आप देव हैं या नहीं, यह आप जानें, पर वह आपकी देवी अवश्य है। कहने के नाम पर वह आपके जीवन का बाँया हिस्सा है, पर हक़ीक़त में उसके इर्द-गिर्द ही संसार का स्वर्ग है। - पत्नी मात्र पत्नी नहीं होती, उसमें त्रिवेणी संगम है। खाना . खिलाते वक़्त वह माँ की भूमिका अदा करती है, स्नेह की बौछार लुटाते वक़्त वह बहिन की भूमिका निभाने लग जाती Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ है, पर जीवन के सुख-दुःख में सहभागिता निभाते वक़्त वह अर्धांगिनी बन जाती है। * पत्नी आपके लिए अपने माता-पिता, भाई-बहिन, जाति और पहचान तक का त्याग कर सकती है। वह सुबह की बनी सब्जी भी आपको पुनः शाम को परोसना पसंद नहीं करती।आप सोचें कि आप उसकी खुशियों के लिए कितनी कुर्बानियाँ देते हैं। - पत्नी के अगर सरदर्द हो तो उसे केवल 'सर का बाम' मत दीजिए, दो पल उसके पास बैठकर उसके सिर को सहलाइए। आपकी यह क़रीबी उसके लिए किसी ईश्वरीय स्पर्श से कम नहीं होगी। * पीहर से लौट कर आने पर यदि आप अपनी पत्नी का दो क़दम आगे बढ़कर स्वागत करते हैं तो यह उसके लिए एक बेशक़ीमती कार भेंट देने के समान सुकूनदेह होगी। # यह सच है कि पत्नी को सदाबहार ख़ुश रखना संसार का सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य है, पर याद रखिए पत्नी ख़ुश है तो ही आप ख़ुश हैं, नहीं तो वह आपकी ख़ुशी को ग्रहण लगा देगी। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आप अपनी पत्नी से बड़े हैं तो बड़प्पन दिखाइए - ग़लती आपकी है या उसकी, आप सॉरी कहना सीखें। माना कि ग़लती पत्नी की है, पर उसके नाराज़ होने पर नुकसान तो आपका ही होगा। पत्नी के कार्यों की प्रशंसा किया करें। इससे आपको फ़ायदा होगा और आपको किसी को निजी सचिव बनाने की ज़रूरत नहीं होगी। पत्नी के द्वारा ग़लती होने पर उसे सबके सामने डाँटने की बजाय एकांत में उसे उसकी ग़लती का अहसास करवाएँ। सबके सामने डाँटने पर वह ख़ुद को अपमानित महसूस करेगी वहीं अकेले में करवाए गए अहसास से वह आप पर गर्व करेगी। पत्नी को सुनने की आदत आम होती है, पर कभी पत्नी को बुरा लग सकता है और वह आप पर झल्ला सकती है। वह जो कहना चाहती है उसे उगलने दीजिए। आप बस शांत orammarwaamaiawinawwamrammarmaweiwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwunik Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रहिए, आराम से सुनिए। महिलाओं की आदत होती है कि पहले वह भीतर से भरती है, फिर उगलती है, फिर रोती है, बशर्ते आप शांत रहते हैं तो। * पत्नियाँ छोटे बच्चों की शरारतें और घरेलू परेशानियाँ अकेली ही झेलती हैं। जब आप रात को घर देर से वापस आते हैं तो वह इसे बर्दाश्त नहीं कर पाती। तब वह आपकी छोटी-सी ग़लती पर भी बरस पड़ती है। प्लीज़! आप उसके गुस्से की ओर ध्यान न दें, प्रेशर कूकर में भाप ज्यादा बढ़ जाएगी तो बाहर तो आएगी ही।आप अपने मुँह के चूल्हे को बंद कीजिए, थोड़ी देर में सब सामान्य हो जाएगा। * अपनी पत्नी को 'तू' या 'तुम' कहने की आदत सुधारिए। अपनी जीवन-संगिनी को सबके बीच 'आप' कहकर अपने लिए सम्मान की शाश्वत व्यवस्था कीजिए। - पत्नी के साथ समझौतावादी नजरिया अपनाइए । यदि कभी अंगद के पाँवों की तरह अडिग रहना हो तो ध्यान रखें कि हम केवल राजा के लिए ही लड़ें, प्यादों को भले ही कुर्बान कर दें। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुछ ऐसा करें कि... Pos - सोचिए वही जिसे बोला जा सके और बोलिए वही जिस पर हस्ताक्षर किए जा सकें। - अपनी वाणी को वीणा की तरह मधुर बनाइए, बाण की तरह नुकीला नहीं, ताकि वह मधुर संगीत की तरह सबको प्रिय लगे। ख़ुद से ग़लती हो जाए तो बेझिझक माफ़ी मांग लीजिए और दूसरों से गलती हो जाए तो माफ़ करने का बड़प्पन दिखाइए। तन-मन को स्वस्थ और सकारात्मक बनाए रखने का यही राज़ है। - आप अपने बच्चों को बुरी नजर से बचाकर रखते हैं, पर बुरी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संगत से ? बच्चों को बुरी संगत से बचाइए, नहीं तो कल आप पर उनकी बुरी नज़र हो जाएगी। • बालक परिवार की किलकारी समाज की शोभा और देश का भविष्य है । उस पर आप बेहतरीन संस्कार, शिक्षा और समय का निवेश कीजिए, वह आपके यश और सुख का साधन बनेगा। बुजुर्गों के साये में रहिए। वे उस बूढ़े वृक्ष की तरह होते हैं जो फल भले ही न दे पाएँ, पर छाया तो अवश्य देते हैं । ■ घर को इतना व्यवस्थित और साफ-सुथरा रखें कि स्वर्ग के देवताओं को भी आपके घर में रहने की इच्छा हो । • जब हमने जीवन की पहली साँस ली थी, तब माता-पिता हमारे क़रीब थे, जब वे जीवन की आख़िरी साँस लें, तब हम उनके क़रीब अवश्य हों । यदि आपको गुस्सा करना है तो किसी पुष्य नक्षत्र में अमृत-सिद्धि योग में कीजिए, पर ध्यान रखिए यह संयोग साल में केवल दो बार ही आता है । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only - 34 Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इंसान की एक लक्ष्मी दुकान के गुल्लक में रहती है और दूसरी लक्ष्मी घर के आँगन में। यदि घर की लक्ष्मी का सम्मान न किया तो याद रखना दुकान की लक्ष्मी से हाथ धो बैठोगे । 35 बुजुर्ग लोग घर में टोकाटोकी की आदत छोड़ दें, तो कोई भी संतान ऐसी नहीं है जो माँ-बाप से अलग होने की सोचे। ■ जो रोज़ाना कुछ-न-कुछ देते रहते हैं, वे ही देवता कहलाते हैं और जो केवल बटोरकर रखते हैं वे ही राक्षस होते हैं । ज़रा आप बताइए कि आप देवता बनना पसंद करेंगे या...? ■ मुस्कान को किसी बैंक में एफ. डी. मत कराइए। इसे करेंट एकाउंट की तरह हर रोज़ खूब लेन-देन करते रहिए । एक आतंकवादी को अहिंसावादी बनाना और एक Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मांसाहारी को शाकाहारी बनाना अड़सठ तीर्थों की यात्रा कर आने के समान है । ■ हाथ में लिखी भाग्यरेखा नीलम और मोती पहनने से नहीं बदलती। रोज़ाना कुछ-न-कुछ दान देने की प्रवृति हो, तो यह ख़ुद ही सँवर जाती है । • जब जो काम करने के भाव उठें, उसे शुरू करने का वही सबसे अच्छा मुहूर्त है। इस समय अमृत सिद्धि योग है, ढिलाई छोड़िए और काम शुरू कर दीजिए । बिजली तो हर किसी के भीतर होती है, ज़रूरत है सिर्फ़ उसे चार्ज करने की । दुनिया तो गेंद की तरह है खेलने वाला हो तो इस दुनिया को जिंदगी भर खेला जा सकता है। हम अपनी इच्छाशक्ति का हॉर्लिक्स दुगुना करें, खेलने की ताक़त खुद-ब-ख़ुद बढ़ जाएगी। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only 36 Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुन्ना भाई! लगे रहो लगन से - - - जीवन में समस्याओं का आना धूप-छाँव के खेल की तरह है। बहती नदियों को भी आखिर चट्टानों का सामना तो करना ही पड़ता है। जिन्हें हम चट्टान समझते हैं वास्तव में उन्हीं से नदी में एक अनोखे संगीत का जन्म होता है। • हमारे सामने जब भी कोई समस्या आए तो हताश होने की बजाय एक ही सिद्धांत याद रखें : हार नहीं मानूँगा, हार मानने की ज़ल्दबाज़ी नहीं करूंगा। Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अगर समस्या एक तरीक़े से न सुलझे तो दूसरा तरीका अपनाएँ, दूसरा तरीक़ा कारगर न हो, तो तीसरे और चौथे तरी का इस्तेमाल करें। कोशिश तब तक जारी रखें जब तक जीत आपकी झोली में न आ जाए। मुश्किलें पहाड़ीनुमा है तो क्या हुआ ? हम मानसिक रूप से इतने ऊँचे उठ जाएँ कि हवाई जहाज़ बनकर मुश्किलों के उस ऊँचे पर्वत को भी लाँघ सकें। ■ अपने उत्साह को ठंडा मत होने दीजिए। हार मानना पूर्ण पराजय को न्यौता देना है। और पूर्ण पराजय तब तक मत मानिए जब तक ज़िगर में साँस है। अनेक बार हम हार मानने की जल्दबाज़ी कर बैठते हैं। यह साल बेकार गया तो क्या हुआ, ज़िन्दगी अभी बाकी है। उगते सूरज के साथ व्यायाम और प्राणायाम करके ख़ुद में ऊर्जा का संचार कीजिए और 'आधा मटका पानी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only 38 Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तथा प्यासे कौवे' की कहानी से प्रेरणा लेकर फिर से जुट जाइए। याद रखिए : जूझने में ही जीत का राज़ छिपा है। माना कि हमने लक्ष्य बनाया, संघर्ष किया, प्रार्थना की, पर राह कठिन होने की वजह से जल्दी ही मैदान छोड़ दिया। काश, हम थोड़ा-सा और धीरज रखते और लगन से थोड़े समय और जुटे रहते, तो वह चमत्कार घटित हो सकता था, जिसकी हमें चाह थी। - इस वाक्य पर गौर कीजिए : 'यदि मै ठान लूँ तो कुछ भी कर सकता हूँ।' बस, इसे टॉनिक की तरह पी लीजिए और फिर आज़माकर देखिए। हमारा व्यक्तित्व ऊर्जा 39 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ और उत्साह से भर उठेगा, हमारे क़दम स्वतः जुझारू बनकर सफलता की ओर बढ़ने लगेंगे। सिक्का उछलेगा तो या तो खुशी वाला पहलू ऊपर आएगा या फिर नाख़ुशी वाला। नाख़ुशी के 'ना' को हटाएँ और हमेशा खुश तथा ऊर्जावान बने रहें। जीत हमेशा जूझने से ही मिलती है, मैदान छोड़कर भागने से नहीं। ऐ पुराने खिलाड़ी! हारो मत, हिम्मत बटोरो। सीना तानकर क़दम बढ़ाओ। विश्वास रखो : ईश्वर के आशीर्वाद हमारे भाग्य के बंद द्वार अवश्य खोलेंगे। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - जीवन किसी साँप-सीढ़ी के खेल की तरह है। कभी साँप के ज़रिए हम ऊपर से नीचे लुढ़क आते हैं तो कभी सीढ़ी के जरिए नीचे से ऊपर पहुँच जाते हैं। एक बार नहीं, दस बार भी साँप निगल ले, तब भी हम इस उम्मीद से पासा खेलते रहते हैं कि शायद अगली बार सीढ़ी चढ़ने का अवसर अवश्य मिल जाए। निराशा मृत्यु का दूसरा नाम है। हम कभी निराश न हों, पर अगर हो भी जाएँ, तब भी उस निराशा में भी काम अवश्य करते रहें। लगातार टपकते पानी से तो पत्थर भी घिस जाया करता है। - सबके लिए एक ही प्रेरणा है: मुन्ना भाई! लगे रहो लगन से। बस, लगातार जुटे रहें। आने वाला कल तुम्हारा होगा। ric Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कहीं आप असफल तो नहीं हुए! - - - - - - जो परीक्षाओं में सफल हुए, उन्हें बधाई है। जो असफल हुए उन्हें हताश होने की बजाय उस सूर्य से प्रेरणा लेनी चाहिए जो कल अस्त होने के बावजूद आज फिर से उदित हुआ है। मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। मन के टूटते ही जिंदगी टूट जाती है। आप अपने दिल की ज़मीं पर फिर से उत्साह और उमंग के बीज बोएँ, आपकी कड़ी मेहनत आपके जीवन को फिर से चमन कर देगी। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . वह 85 प्रतिशत अंक लाकर भी दुःखी है जब कि उसके पड़ौसी 60-70 प्रतिशत अंक लाकर भी मिठाई बाँट रहे हैं। सफलता का पाठ सीखिए कि जिंदगी यहीं ख़त्म नहीं होती है। 'मैं और दिल लगाकर पढ़ाई करूँगा' - यह संकल्प लेते हुए अपने अगले सफ़र के लिए अभी से लग जाइए। जीवन की सफलता का एक ही गुरुमंत्र है : 'लगे रहो मुन्ना भाई लगन से।' दिल की लगन और कड़ी मेहनत से कठिन-से-कठिन लक्ष्य को भी आसान बनाया जा सकता है। वह फर्स्ट और आप सैकंड आए तो क्या हुआ, कछुए और खरगोश की कहानी से प्रेरणा लीजिए और अपनी गति को पुरज़ोर निरन्तरता देते हुए कछुए की तरह बाज़ी मारिए। - बीज और फल कभी अलग-अलग नहीं होते। आपको Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फल वही मिले हैं जैसे आपने बीज बोए थे। अच्छे परिणामों के लिए हमें महान् लक्ष्य और महान् पुरुषार्थ के बीज बोने होंगे। आपके मामा यदि सी.ए. हैं तो तलाश कीजिए कि उनकी इस सफलता का राज़ क्या है? आप भी उन मापदंडों को अपनाएँ और हर रोज़ दस घंटे कड़ी मेहनत करते हुए कामयाबी की नई इबारत लिखें। ग़लत साथियों की सोहबत छोड़िए और अपने समय की क़ीमत समझिए। आप आज जैसी नींव बनाएँगे, आपके आने वाले 50 वर्षों की सफलता का महल उस पर वैसा ही टिक पाएगा। * बिना पढ़े-लिखे आप एक मज़दूर या मिस्त्री बन सकते हैं, पर इससे अधिक कुछ बनने के लिए शिक्षा के प्रति आपको उतना ही गंभीर होना होगा। याददाश्त के लिए थ्री आर का फार्मूला अपनाइए - 1. रिमेम्बरिंग, 2. रिवाइजिंग, 3. राइटिंग। यानी याद 4 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कीजिए, दोहराइए, लिखकर उसे और पक्का कीजिए । ■ हौंसलों को बुलंद कीजिए । गिरकर भी फिर से खड़ा हो जाने वाली जापानी गुड़िया हमसे यही कहती है कि ज़िंदगी हार का नाम नहीं, जीत का नाम है। हारना गुनाह नहीं है, लेकिन हार मान बैठना अवश्य गुनाह है। ■ सफलता कोई मंज़िल नहीं, एक सफ़र है। मैट्रिक में मेरिट आकर कोई बैठ जाता तो वह एम. बी. ए. नहीं बन पाता, करोड़पति होकर संतोष कर लेता तो वह धीरूभाई अंबानी नहीं बन पाता और विश्व सुंदरी बनकर हाशिए पर चली जाती तो वह ऐश्वर्या की तरह महान् अभिनेत्री नहीं बन पाती । ■ आइए हम फिर से शुरू करते हैं ज़िंदगी की कहानी, सफलता की ज़ुबानी। 45 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... किस्मत की ज़मीन पर मेहनत का पेड़ लगाइए Regusand - - ॐ सफलता किसी संयोग या किस्मत का परिणाम नहीं है। दृढ़ इच्छा, कड़ी मेहनत और ऊँचे लक्ष्य का नाम ही सफलता है। बीजिंग ओलंपिक में भारत ने 3 स्वर्ण पदक पाए और चीन ने 100, सोचिए इसकी वजह क्या है? - जिस तरीके से जो काम आप अब तक कर रहे थे, यदि वैसा ही करते रहे, तो आपको परिणाम भी वही मिलेगा जो आज तक मिलता रहा है। - प्रकृति का नियम याद रखिए : फसल काटने के लिए पहले Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीज बोना पड़ता है और बीज को उगाने के लिए माली की तरह सींचना पड़ता है। ऐसा कभी नहीं होता कि आज बीज बोओ और कल उसमें से पेड़ उग आए और आप फल खाने के लिए हाथ बढ़ा बैठे। किसी भी सफलता का पहला द्वार है : आपको क्या चाहिए इसका निर्णय। आपका लक्ष्य आपके सामने जितना साफ होगा, आपका काम और परिणाम उतना ही असरदार होगा। लक्ष्य स्पष्ट और निश्चित होगा तो अत्यंत कठिन रास्ते पर भी प्रगति करेंगे। लक्ष्यहीन व्यक्ति तो सरल रास्ते पर भी चलेगा, तब भी कहीं नहीं पहुँचेगा। - जिस चीज़ को आप पाना चाहते हैं, उसे पाने के लिए दीवाने हो जाइए। प्रभु उनकी मदद अवश्य करते हैं जिनके भीतर जीतने का पूरा ज़ज्बा है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जीतने के लिए सबसे पहले जिस ताक़त की ज़रूरत है वह है जीतने की सोच, जीतने का विश्वास । हारने की सोच लेकर कभी भी जीत हासिल नहीं की जा सकती। ■ मन में उठने वाले जहरीले विचार, जीवन में मिलने वाले ज़हरीले लोग और हाथों में आने वाली जहरीली पुस्तकों से वैसे ही बचिए जैसे जहरीले साँप से बचते हैं । विश्वास चाहे राई के दाने जितना रखिए, पर वह पूर्ण और मज़बूत रखिए। हम राई जितने विश्वास से भी हर मुश्किल के पहाड़ को लाँघ सकते हैं । ■ सफल होने के लिए 6 नियम अपनाइए - 1. तय कीजिए आपको क्या चाहिए। 2. जो चाहिए उसे ऑफिस की टेबल पर भी लिखकर रखिए और गहराई से मन में भी। 3. लक्ष्य को हासिल करने की समय-सीमा निर्धारित कीजिए । 4. लक्ष्य को हासिल करने की योजना तैयार कीजिए । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only 48 Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5. देर मत कीजिए, तत्काल काम में लग जाइए। 6. रोज़ कुछ-न-कुछ अवश्य कीजिए। याद रखिए : मैं केवल दरवाजा खोलता हूँ, कदम तो आपको ही बढ़ाना होगा। यदि आपको धन कमाना है तो यह मत सोचिए कि पैसों के बिना कैसे शुरू करूँ? बल्कि यह सोचिए कि यदि आप शुरू ही नहीं करेंगे, तो पैसे कहाँ से आएँगे। - रास्ता मत देखिए, बस शुरू कीजिए। निकम्मे बैठे रहेंगे तो दिमाग को भी जंग लग जाएगा। चलना शुरू कर देंगे तो दिमाग भी चलने लगेगा और इस तरह आप सफलता की ओर बढ़ते जाएँगे। हालात बदलते वक़्त नहीं लगता। अनुकूल हालात हों तो ईश्वर के प्रति शुक्राना अदा कीजिए, पर प्रतिकूल हालात हों तो निराश मत होइए। फिर से नये बीज बोइए। विश्वास रखिए : हवाओं के साथ बादल ज़रूर आएँगे। wamDOOT Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सीखें कि कैसे पाएँ सफलता MOST सफलता जीवन की सबसे मधुर उपलब्धि है, पर यह न तो आसमान से टपकती है, न यह जादुई या रहस्यमयी है। सफलता तो तब मिलती है जब हमारी साँस में सफलता का सपना बस जाता है। सफलता लक्ष्य की ओर किए जाने वाले निरंतर पुरुषार्थ का परिणाम है। अपने जीवन को हम जैसा बनाना चाहते हैं, वैसा बनना ही सफलता है। यह सफलता कैसे हासिल की जाए, जीवन के कुरुक्षेत्र में यह रणनीति तय करना ही हमारी 50 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पहली सफलता है। बीजिंग ओलम्पिक में चीन ने सौ पदक हासिल किए, अमरीका के माइकल फेल्प्स ने अकेले 8 स्वर्ण पदक पाए, पर संपूर्ण भारत ने केवल तीन पदक, यह सफलता या विफलता मात्र संयोग या किस्मत का परिणाम नहीं है। - सफलता पाने के लिए मात्र आधा दर्जन चीजें चाहिए। जैसे अच्छी फसल पाने के लिए मिट्टी, बीज, पानी, धूप, खाद और देखभाल चाहिए वैसे ही सफलता का आनन्द लेने के लिए स्पष्ट लक्ष्य, कड़ी मेहनत, बेहतर कार्ययोजना, श्रेष्ठ बुद्धिमानी, प्रबल आत्मविश्वास और समय के समुचित प्रबंधन की ज़रूरत होती है। • विफल से विफल व्यक्ति सफल हो सकता है । इसके लिए एक ही ताक़त चाहिए और वह है आत्मविश्वास। म. SINAGEM E N T Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आत्मविश्वास संकट-मोचक हनुमान की तरह है । बजरंग बली की जय बोलिए और कठिनाइयों का सागर लाँघ जाइए। किसी गोल्ड मेडलिस्ट छात्र से पूछिए कि टॉप टेन में आने के लिए उसने क्या किया ? तो उसका जवाब होगा - गुरुजनों का मार्गदर्शन, खुद की मेहनत, बुलंद हौंसले, ऊँचा लक्ष्य, तकनीकी ज्ञान और बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद । ■ इस वर्ष के लिए आप भी अपने लक्ष्य तय कीजिए फिर चाहे वे लक्ष्य भौतिक हों या आध्यात्मिक, शिक्षापरक हों या स्वास्थ्यपरक । जिसके पास लक्ष्य नहीं है उसके पास जीवन जीने का न जोश है, न उत्साह । वह जीवन के नाम पर केवल 'टाइम पास' कर रहा है । बगैर लक्ष्य के किया गया मंत्र - जाप, औषधि - निर्माण, ध्यान-साधना और व्यापार हमें किसी डगर तक नहीं पहुँचा सकते। पहले अपना लक्ष्य तय कीजिए। अपने लक्ष्य Jain Educationa International - For Personal and Private Use Only 52 Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ के लिए आप अपनी जितनी प्रतिशत ताक़त झोंकेंगे, आप उतने प्रतिशत सफल हो पाएँगे। 100 प्रतिशत सफलता के लिए 100 प्रतिशत ऊर्जा लगाइए। सफलता चाहिए तो पहले एकान्त में बैठकर लक्ष्योन्मुख योजना बनाइए और उस योजना की क्रियान्विति के लिए खुद को सख़्ती से अनुशासित कीजिए। बिना अनुशासन का व्यक्ति बोल तो खूब सकता है, पर सफलता के सपनों को खोल नही सकता। - अगर आप ग़रीब हैं तो अमीर बनने की योजना बनाइए। बीमार हैं तो आरोग्य की, अशिक्षित हैं तो शिक्षा की और बुजुर्ग हैं तो बुढ़ापे को सार्थक करने की तैयारी कीजिए। नेपोलियन से प्रेरणा लीजिए कि मनुष्य चाहे तो असंभव कुछ भी नहीं। पत्थर तबीयत से उछाला जाए तो आसमान में भी छेद हो सकता है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - जो पैदा नहीं कर सकता, वह बाँझ कहलाता है और जो कुछ काम नहीं करता, वह निकम्मा कहलाता है। क्या आप अपने मुँह पर इस लेबल की कालिख पोतना चाहेंगे? एक बुरा व्यक्ति भी अच्छी बातें पढ़कर अच्छा बनने की शुरुआत कर सकता है। बस, ज़रूरत है पहला कदम उठाने की। पूरी ताक़त से प्रगति की दिशा में धक्का मारिए और जैसे ही गाड़ी चल पड़े कूदकर चढ़ जाइए। फिर लीजिए जीवन का जी-भर आनंद। पुरानी निराशाओं और उपेक्षाओं को डस्टबीन में डालिए। मन की दराज़ों को साफ़ कीजिए। प्रेरणादायक सीडी सुनिए, खुद को ऊर्जावान बनाइए और लम्बे समय से पेंडिंग पड़े कामों को पूरा कर डालिए। यह साबित कर दीजिए कि इंतज़ार की घड़ियाँ अब समाप्त हुईं। जैसेही उत्साह और उद्यमदोस्ती कर लेंगे, 1 और 1 सीधे 11 हो जाएँगे।तब आपही कहेंगे- सफलताअब तय है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आर्थिक चिंताओं से छुटकारा पाने के 14 नियम सुखशांति जीवन की सबसे बड़ी दौलत है। चिंताएँ हमारी इस दौलत को घुन की तरह चट कर जाती हैं । पैसा जीवन की सुख-सुविधाओं को सँजोता है। आर्थिक चिंताओं से उबरने के लिए 14 नियम अपनाएँ1. हर सप्ताह के अंत में, सप्ताहभर में खर्च हुए पैसे का हिसाब-किताब लिखने की आदत डालें। इससे आपको पता रहेगा कि आपका पैसा कहाँ जाता है और आपको आपकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हर महिने कितने बज़ट की 55 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज़रूरत है । 2. जो लोग बज़ट के अनुसार चलते हैं, वे सुखी रहते हैं । आप अपना बज़ट ऐसा बनाएँ जो वास्तव में आपकी आवश्यकताओं के साँचे में ढल जाए। बज़ट बनाने का उद्देश्य है : मानसिक शांति तथा चिंतारहित जीवन । 3. अपनी पूँजी को सही जगह निवेश करें। निजी कम्पनियों की बजाय सरकारी बैंकों एवं पोस्ट ऑफिस में धन का निवेश अधिक भरोसेमंद है। कहीं ऐसा न हो कि ज़्यादा ब्याज के लालच में हम मूल से भी हाथ धो बैठें | 4. अपने धन से हमेशा उत्तम वस्तुएँ खरीदें। जैसे : सोने के आभूषण और ज़मीन-जायदाद । आभूषण आपको श्रृंगारित करेंगे और धन को सुरक्षित भी। ज़मीन पर खर्च किया गया धन उन बीजों को बोने की तरह है जो आपको भविष्य में सौ गुना करके लौटाएँगे । Jain Educationa International 40% 50% 60% 70% For Personal and Private Use Only 56 Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5. आमदनी को लेकर अपना सरदर्द मत बढ़ाइए। खर्चों की चादर उतनी ही फैलाइए जिससे मानसिक सुखशांति के पाँव ढके रह सकें। 6. बच्चों की शादी पर इतना भी खर्च मत कीजिए कि आपकी दस साल की कमाई केवल दो दिन की शानो-शौकत में खर्च हो जाए। दूसरों की बराबरी मत कीजिए, अपनी औकात को ध्यान में रखकर ही व्यवस्थाओं को अंजाम दीजिए। 7. कर्ज़ न लेना श्रेष्ठ है, पर यदि संकट की घड़ी में कर्ज लेना ही पड़ जाए तो अपनी साख मत गिरने दीजिए और रोज़ की बचत करके, तय समय के भीतर कर्ज़ चुका दीजिए। अगर आपने ऐसा न किया तो आप ब्याज के बोझ से कभी उबर न पाएँगे। 8. जीवन में कब किस स्थिति का सामना करना पड़ जाए इसकी कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। रोग, आग तथा Rem भारतीय रिजर्व बैंक RVEHUDPER PME RRORED RUPEES go PME HUNDRED MUFEES HVE HUNDRED RIPELE U - FIVE HUTORE RUPEES NEHLATED SUPEES Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आपातकाल के लिए हर महिने अपनी कमाई का एक हिस्सा बैंक या बीमा कम्पनी में 'भविष्य निधि फंड' के रूप में जमा कराते रहिए।संकट की घड़ी में आप स्वयं को सुरक्षित पाएँगे । 9. सेवानिवृत्ति पर एक मुश्त मिलने वाली पेंशन को बिना सोचे-समझे अपनी संतानों को मत दीजिए, नहीं तो आपकी 30 साल की बचत 3 महिने में ही हलाल हो जाएगी । 10. ऐसी व्यवस्था अवश्य कीजिए कि आपके निधन के बाद आपकी विधवा पत्नी को हर महिने मासिक भत्ता मिलता रहे ताकि आपकी जीवनसंगिनी को बाद में सुख के लिए मोहताज़ न होना पड़े । 11. अपने बच्चों को पैसे की इज्जत करना सिखाइए । उनका बैंक खाता खुलवाइए और उनमें बचत की आदत डालिए । अपनी बचत पूंजी को देखकर वे स्वयं को सुरक्षित और आनंदित महसूस करेंगे और इस तरह वे फ़िज़ूलखर्ची की बुरी लत से बच सकेंगे। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only 58 Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12. यदि आपकी मासिक आमदनी से आपका घरेलू खर्चा न चलता हो तो बड़बड़ाने और चिंता पालने की बजाय अतिरिक्त आमदनी की तरकीब ढूंढिए। जैसे आप कम्प्यूटर जॉब कर सकते हैं, आपकी पत्नी मेहंदी माँड सकती है, आपका बड़ा बेटा या बड़ी बेटी छोटे बच्चों की ट्यूशन कर सकते हैं। 13. सिगरेट, गुटखा या शराब जैसी उन्मादक चीज़ों को अपने पास फटकने मत दीजिए। इनसे आपका स्वास्थ्य भी दुष्प्रभावित होगा और आपकी निरंकुश फ़िजूलखर्ची भी बढ़ जाएगी। 14. जुआ या शेयर के सट्टे में हाथ मत डालिए।हो सकता है इनसे कभी फ़ायदा भी होता हो, पर जब नुकसान होता है तो हर तरह की सुखशांति चौपट हो जाती है। t HavinmamiwwwvoriamoulodinamainaviamwiviaNiwownlawdiawwwitoonwan SHRI CHANDPRABH m anmammeenawinter ROMANIMA Ge's good आर्थिक विताओं के छुटकारा पाने के 14 जिवन 500 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शक्ति पाने के 12 नियम ■ सूर्य का मुकाबला करने की बजाय उसकी रोशनी का अपने हितों के लिए इस्तेमाल कीजिए। जो आपसे वरिष्ठ हैं, उन्हें दरकिनार करने की बजाय उनकी पहचान और प्रतिष्ठा का उपयोग करते हुए अपने लिए विकास के द्वार खोलिए । ■ अपने लाभ के लिए मित्रों का ही नहीं, दुश्मनों का भी उपयोग कीजिए । बुद्धिमान व्यक्ति दुश्मनों से भी लाभ उठाता है जबकि मूर्ख व्यक्ति मित्रों से भी हानि उठा बैठता है । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only 60 Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - अपने उद्देश्य, योजनाएँ और प्रगति को प्रगट करने की ज़ल्दबाज़ी न करें। उन्हें तब तक छिपाएँ जब तक आप जीत हासिल न कर लें।समझदार सेनापति युद्ध की घोषणा होने से पहले ही विजय हासिल कर लेता है। कम बोलना अधिक फायदेमंद है। ज़्यादा बोलते समय हमारे मुँह से कोई-न-कोई मूर्खतापूर्ण बात निकल सकती है। महान् लोग कम शब्दों में ही अपनी शक्तिशाली बात कहकर दूसरों को प्रभावित करते हैं, मानो उनके शब्द किसी सिद्ध योगी या देवी की भविष्यवाणी हो। - प्रतिष्ठा किसी मूल्यवान ख़ज़ाने की तरह है। इसे सावधानीपूर्वक हासिल कीजिए और प्राण न्यौछावर करके भी उसकी रक्षा कीजिए। एक बार प्रतिष्ठा पर दाग़ लग गया तो सड़क चलता इंसान भी हम पर अंगुली उठा सकता है। - हर क़ीमत पर आप सबको आकर्षित करें। जो दिखता नहीं है, एक तरह से उसका अस्तित्व ही नहीं होता। अपने कार्यों CURRESHERSINES Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ को इतना बड़ा और दिलचस्प बनाएँ कि रोशनी सदा आप पर ही केन्द्रित रहे। बहस मत कीजिए; परिणाम पर गौर कीजिए। किसी तरह की चाँ-चूँ किए बगैर अपने कार्यों से दूसरों को प्रभावित करना ज़्यादा कारगर होता है। याद रखिए : सत्य वह नहीं होता जो बोला जाता है। सत्य वह होता है जो दिखाई देता है। दुःखी और बदक़िस्मत लोगों के साथ रहने की बजाय सुखी और खुशकिस्मत लोगों के साथ रहें, नहीं तो आपके सौभाग्य को भी उनकी बदकिस्मती का सूर्य-ग्रहण लग जाएगा। अगर आप कंजूस हैं तो उदार लोगों के साथ रहें और निराशावादी हैं तो हँसमुख लोगों के साथ रहना शुरू करें। अच्छे और सकारात्मक लोगों के साथ रहने से आपकी कमज़ोरियाँ दूर होंगी और उनकी अच्छाइयाँ आपके जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन जाएँगी। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ■ कहीं भी बहुत ज़्यादा आने-जाने से हमारी क़ीमत घटती है । सम्मान पाने के लिए दूरी बनाना भी सीखिए। सूरज उस दिन कुछ ज़्यादा ही सुहावना लगता है जब वह बारिश के दिनों में कई दिन बाद नज़र आता है। इस स्वार्थ भरी दुनिया में पता नहीं चलता कि कब कौन किसके काम आ जाए । इसलिए भूलकर भी किसी का अपमान मत कीजिए । ग़लतियों को तो माफ़ किया जा सकता है, पर अपमान को नहीं भुलाया जा सकता । ■ स्वयं को घर या किले की चारदिवारी में कैद न करें। किले में रहना सुरक्षा के लिहाज़ से अच्छा है, पर ऐसा करने से दुनिया की विराटता से वंचित रह जाएँगे। सभी से मिलेंजुलें, मित्र खोजें और सबसे जुड़ें। इससे ताक़त और ख़ुशियाँ दोनों में बढ़ोतरी होगी । 63 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आपके व्यवहार से किसी को असंतोष तो नहीं? - - - हमारा व्यवहार हमारे व्यक्तित्व, चरित्र एवं कुलीनता का आईना है। व्यवहार यदि मधुर और शालीनतापूर्ण है तो आप बिना धन खर्च किए भी सबके दिलों में राज कर सकते हैं। महान् लोग शत्रु के साथ भी महान् व्यवहार करते हैं, पर ओछे लोग मित्र के साथ भी दगाबाजी कर बैठते हैं। अपने व्यवहार का मूल्यांकन कीजिए। यदि उसमें किसी भी तरह का ओछापन हो तो उसे आज ही अपने जीवन से हटाने का संकल्प लीजिए। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ • चौराहे पर बैठे किसी नेत्रहीन व्यक्ति ने आदमी की भाषा और व्यवहार के आधार पर ही यह निर्णय दिया था कि कौन व्यक्ति सैनिक है, कौन सेनापति और कौन राजा। अपनी भाषा और प्रस्तुति को इतना शालीन बनाइए कि सड़क चलता कोई नेत्रहीन भी आपको प्रेम से राजन् कह सके। चेहरे को रंग देना कुदरत का काम है, पर जीवन को सही ढंग देना हमारा स्वयं का दायित्व है। पत्नी यदि साँवली हो, पर स्वभाव और व्यवहार से दिल को जीतने वाली हो तो स्वर्ग का सुकून उस साँवलेपन के सान्निध्य में भी मिल सकता है। बाकी गोरा तो चूना भी होता है, पर यदि वह दिल को चीरता है तो उस गोरेपन को कब तक झेला जा सकेगा। - हमें औरों के साथ इतनी शिष्टता और सभ्यता से पेश आना चाहिए कि हमारा व्यवहार ही हमारी लोकप्रियता का राज़ MAM Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बन जाए । हम साली के साथ तो तहजीब से पेश आते हैं फिर घरवाली के साथ अकड़पन क्यों रखतें हैं। • पीठ थपथपा करके तो हम गधों और कुत्तों से भी काम ले सकते हैं फिर नौकर या कर्मचारियों से काम लेने के लिए उसी मिठास भरे मिजाज का उपयोग क्यों नहीं करते? अरे, शाबासी की बात सुनकर हाथी तो क्या, चींटी भी पहाड़ लाँघ जाया करती है। किसी काम के लिए बड़ों को अपने पास बुलाने की बजाय हमें उनके पास जाना चाहिए। सास, पिता, गुरु या बड़े भैय्या ज़मीन पर बैठे हों तो हमें उनके सामने सोफे-कुर्सी पर नहीं बैठना चाहिए। कोई चीज़ हमें खानी-पीनी हो, तो सामने बैठे लोगों से मनुहार करने के बाद ही हमें उपयोग करना चाहिए। यह जीवन की पाठशाला का सबसे पहले सीखा जाने वाला पाठ है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ • बोलते समय हमें शब्दों का चयन सावधानी से करना चाहिए। हर बात सोचने की तो होती है, पर बोलने की नहीं होती। बुद्धिमान सोचकर बोलते हैं, पर बुद्धू बोलकर सोचते हैं। किसी दूसरे के चित्र में कमियाँ निकालना हर किसी के लिए आसान होता है, पर उन कमियों को हटाकर स्वयं के द्वारा वैसा चित्र बनाना लगभग हर किसी के लिए नाममुकिन होता है । जब दुनिया में दूध का धुला कोई नहीं है फिर दूसरों की कमियों को निकालने का कमीना काम क्यों करें? - रावण के बीस आँखें थीं, पर नज़र सिर्फ एक औरत पर थी जबकि अपने दो आँखें हैं, पर नज़र हर औरत पर है। फिर सोचो कि असली रावण कौन है ? विश्वास है आप अपनी पूर्व ग़लतियों के लिए अपने आप से सॉरी कह रहे हैं और कल से कैसे पेश आएँगे इसका सहीसकारात्मक फैसला कर रहे हैं। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कैसा करें व्यहार कर्मचारियों से se - - S IMINARomaniawww mmar - twimwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww wwer SU - कर्मचारी और मालिक का रिश्ता उतना ही ज़वाबदेह होता है जितना भक्त और भगवान का। कर्मचारी मालिक के लिए तभी तक अपना पसीना बहाएगा, जब तक मालिक की ओर से उसे पूरा पारिश्रमिक और प्रोत्साहन मिलता रहेगा। आप अपने कर्मचारी को केवल काम मत दीजिए वरन काम के साथ उसे लक्ष्य भी दीजिए। महान् लक्ष्य के पूर्ण होने पर कर्मचारियों की आत्मा उतनी ही गौरवान्वित होंगी जितनी सफलता का स्वाद मिलने पर आपको हुआ करती है। Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपने कर्मचारियों पर व्यर्थ के हो-हल्ला करने की बजाय उन्हें काम करने की सही ट्रेनिंग दें। किसी भी व्यक्ति से ग़लती तभी तक हुआ करती है जब तक वह अशिक्षित रहता है। आपकी मिठास और मुस्कान आपके गुस्से से ज़्यादा प्रभावशाली हैं। आप अपने गुस्से को थूकिए और कुछ ऐसा करने का फ़ैसला कीजिए जिससे आपके कर्मचारियों के दिलों में आपके प्रति प्रेम और सम्मान का जज्बा जग सके। कर्मचारी की प्रशंसा सबके सामने करें, पर फटकार अकेले में लगाएँ। प्रशंसा से कार्य अधिक करने का प्रोत्साहन मिलता है जबकि फटकार से कार्य को सावधानी से करने की नसीहत मिलती है। कर्मचारी को कभी ऐसी फटकार न लगाएँ कि वह आपका दुश्मन बन जाए। अगर उसने आपसे दुश्मनी निकालने की ठान ली तो उसका तो कुछ ख़ास न बिगड़ेगा, पर आपको इतना बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है कि आप उससे जिंदगी भर भी उबर न पाएँ। - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ■ अपने कर्मचारी के काम में कभी आप ख़ुद भी हाथ बँटाने की आदत रखें ताकि उसके द्वारा होने वाला काम उसे हल्का न लगे, बल्कि आपको अपने साथ काम करते देखकर उसे भी काम करने की प्रेरणा और उत्साह मिल सके। ■ दस में से पाँच काम करके तो हर कोई नौकरी कर सकता है, पर पाँच की बजाय दस काम करके कोई भी व्यक्ति अपनी उन्नति का द्वार खोल सकता है । कर्मचारी से ग़लती होने पर डाँट तभी लगाइए जब उससे अच्छा काम होने पर आप उसे बोनस भी देते हों । यद्यपि कर्मचारी और मालिक का रिश्ता एक परिवार जैसा रिश्ता होता है । हम पिता बनकर उस पर गाली-गलौच तो कर बैठते हैं, पर क्या उसे एक पुत्र की तरह अपना प्यार भी देते हैं ? होली - दिवाली पर अपने कर्मचारियों को मिठाई का पैकेट देना न भूलें । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only 70 Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मालिक की ख़ुशहाली कर्मचारियों की अच्छी मेहनत पर टिकी है, तो कर्मचारियों की ख़ुशहाली मालिक के द्वारा दिए जाने वाले अच्छे मेहनताने पर टिकी है। आप अपने कर्मचारियों से महिने में 30 दिन काम करवाइए, पर 1 तारीख को सुबह की पारी शुरू करें उससे पहले उन्हें उनका वेतन दे दें। • आप अपने कर्मचारी को वेतन चाहे जितना दें, लेकिन बतौर मानवीय सहयोग के रूप में उसे उसके घर में लगने वाला आटा और चिकित्सा - सेवा अपनी ओर से मुहैया करवाएँ, ताकि आपके कर्मचारी के साथ आपका दाता और दयालु का संबंध भी बन सके । ୧୦୨ତ 71 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रोध आने पर क्या करें? SEARCH - - - क्रोध तात्कालिक पागलपन है। कौन बेवकूफ होगा जो यह पागलपन दोहराएगा। - क्रोध हँसी की हत्या करता है और खुशी को ख़त्म। यह बुद्धि के दरवाजे पर चटकनी लगा देता है और विवेक को घर से बाहर निकाल देता है। - क्रोध से सेहत पर कुठाराघात होता है, रिश्ते टूटते हैं और कैरियर चौपट हो सकता है। गुस्से से सावधान रहिए पलभर का गुस्सा आपका पूरा भविष्य बिगाड़ सकता है। 72 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ • पत्नी अगर गुस्से में कह बैठे - तुम तो जानवर हो, जानवर । तो पत्नी की बात का बुरा मत मानि । सकारात्मक जवाब देते हुए कहिए - तुमने ठीक कहा । तुम मेरी जान हो, मैं तेरा वर। दोनों मिलकर हो गए जानवर। यदि आप क्रोध से परेशान हैं तो सदा मुस्कुराने की आदत डालें। क्रोध का निमित्त खड़ा हो जाए तो पहले मुस्कुराएँ, फिर क्रोध करें : क्रोध कम आक्रामक होगा। - गुस्से में पत्नी गन्ने को उठाकर आपकी पीठ पर दे मारे तो मुस्कुराते हुए झट से कह डालिए - अच्छा हुआ तूने दो टुकड़े कर दिए, ला, एक मैं खा लेता हूँ और एक तू। - अगर दूध उफनने लगे तो हम पानी का छींटा डालते हैं। आप इसी नुस्खे का इस्तेमाल कीजिए। जैसे ही लगे कि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आपमें उफान आ गया है, तत्काल दो गिलास ठंडा पानी पी लीजिए। उधर उफनता दूध शांत, इधर आपका उबाल शांत। क्रोध में बनाया गया भोजन और बच्चों को पिलाया गया दूध ज़हर की तरह नुकसानदायक होता है। क्रोध पैदा हो जाए तो पहले 15 मिनट सो जाएँ, तन-मन को रिलेक्स करें, उसके बाद ही कोई कार्य निपटाएँ। क्रोध में एक बार अपना चेहरा आईने में देखने की तक़लीफ़ उठाएँ। आपको अपने आप से नफ़रत होने लगेगी। तब आप अनायास ही अपने क्रोध को वैसे ही थूक देंगे जैसे कि मुँह से कफ़। कोशिश कीजिए कि क्रोध को हमेशा धैर्यपूर्वक प्रकट करने की आदत डालिए। थोड़ा-सा धैर्य भी आपके Minute Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रोध का अंतरमंथन कर डालेगा और तब आप जो भी कहेंगे, वह मक्खन की तरह सार रूप होगा । 75 धीरज से सोचने पर कई दफ़ा लगता है कि मैं व्यर्थ ही क्रोधित हुआ । अपने इस प्रायश्चित से प्रेरणा लीजिए और निर्णय कीजिए कि मैं भविष्य में आगे-पीछे का सोचकर ही क्रोध करूँगा । ज़रा सोचें कि कब तक यूँ ही उफनते और फुफकारते रहेंगे। अगर मरकर साँप या साँड बनने की चाह हो तो पूरी आज़ादी से क्रोध कीजिए । जीवन में कभी भी क्रोध को न्यौता मत दीजिए, अन्यथा वह लोभी जंवाई की तरह आएगा और आपको कर्ज में डुबो जाएगा । ■ कृपया बड़े साइज़ का एक काग़ज़ लीजिए और उस पर लिख दीजिए- 'हे जीव शांत रह । कब तक यूँ ही हो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हल्ला करता रहेगा' बस, इस कागज़ को घर के आंगन में चिपका दीजिए और जैसे ही गुस्सा आए तो इसे पढ़ डालिए। आपकी अंतरात्मा में तत्काल शांति की रोशनी खिल उठेगी। सप्ताह में एक दिन चार घंटे का अखंड मौनव्रत रखने की आदत डालिए। मौन से जहाँ वचनसिद्धि सधेगी, वहीं क्रोध के तेवर का तीखापन कम होगा। - सुबह उठते ही एक मिनट तक तबीयत से मुस्कुराइए। जीवन में ज्यों-ज्यों मुस्कान के फूल खिलेंगे, चिंता, क्रोध, तनाव के काँटे स्वतः निष्प्रभावी होते जाएँगे। हर महिने की पहली तारीख को उपवास करने की आदत डालिए। यह उपवास भोजन न करने का हो, बल्कि क्रोध न करने का हो। भला, क्रोध न करने से बढ़कर और क्या तपस्या होगी। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जीवन में खिलाएँ हँसी के फूल हँसी टॉनिक की तरह है जो आपको ऊर्जावान बनाती है। यदि आप विपरीत परिस्थिति में अपनी हँसी को सुरक्षित रखते हैं तो इसका मतलब है क्रोध, चिंता, तनाव और अवसाद जैसी बीमारियाँ आपसे चार कोस दूर हैं। हँसने से होंठ गुलाबी होते हैं और गाल सुहावने, जबकि रोने से होंठ सूख जाते है और गाल मुरझा जाते हैं। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ईश्वर ने इंसान को हँसने का जन्मजात गुण देकर सुंदरता बढ़ाने का राज़ दे दिया है। सदाबहार हँसी आपको उस लक्ष्य तक पहुँचा सकती है जिसे पाने के लिए लोग वनवासी और संन्यासी बनते - हँसना और हँसाना एक चुनौती भरा कार्य है। जब ईश्वर ने अपन लोगों को यह गुण दिया है तो फिर हँसने में हम कंजूसी क्यों बरतते हैं ? • इंसान रोता हुआ भले ही पैदा हो, पर जीवन की धन्यता इसी में है कि वह हँसता हुआ धरती से जाए। हम हँसें और दुनिया रोये – यह कबीर की वाणी है वहीं हम रोएँ और दुनिया हँसे यह जीते-जी मरने के समान है। • दूसरों पर आप तो क्या, एक मूर्ख भी हँस सकता है, पर खुद पर हँसने वाले तो कोई महर्षि ही होते हैं। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ • जब भी हँसें, दिल से हँसें। मन से हँसने वाले शरारती होते हैं और होंठो से हँसने वाले औपचारिक। हृदय से हँसने वाले आत्मा से हँस रहे होते हैं। - हँसमुख इंसान से मिलकर हर कोई प्रसन्न होता है। कोई भी इंसान न तो मुरझाए हुए फूल पसंद करता है, न ही मुरझाए चेहरे। - फोटो की सुंदरता के लिए हर फोटोग्राफर का पहला सुझाव होता है - स्माइल प्लीज़ । काश, इस सुझाव को हम चौबीसों घंटों के लिए अपना लें तो बिना ब्यूटी पार्लर के ही हम सुंदरता की ऊँचाइयाँ छू सकते हैं। दिन में कम-से-कम तीन बार खुलकर हँसिए। दिन में दस बार उन्मुक्त हँसी हँसने वाले जिंदगी में कभी डिप्रेशन और हार्ट-अटैक के शिकार नहीं हो सकते। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बातें काम की, ज्ञान की और ज़ुबान की - - प्रभु का काम है हमारे दु:ख-दर्द को दूर करना। यदि हम प्रभु की सेवा करना चाहते हैं तो हम भी किसी दीन-दुखी की मदद करके प्रभु के काम को आगे बढ़ा सकते हैं। किसी भी बिन्दु पर सोचिए शांति से, पर जब उसे मूर्त रूप देना हो तो कीजिए तेजी से। । किसी ख़ास अवसर पर रुपयों का लिफ़ाफ़ा या फूलों का गुलदस्ता भेंट देने की बजाय ऐसी वस्तु का उपहार दीजिए जो अवसर के बीत जाने के बाद भी उपयोग में आती रहे। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 8 महान् विचार और प्रेरणाओं से एक श्रेष्ठ पुस्तक किसी को देना अंधेरे में खड़े इंसान को रोशनी भरा दीपक थमाने के समान है। जो मन में आए वह न तो बोलिए और न कीजिए। वाणी, व्यवहार और कर्म वही कीजिए जिसके पीछे आपके श्रेष्ठ चिंतन और बुद्धि की रोशनी हो। जुबान पर मिठास घोलिए। जीवन की आधी समस्याएँ तो केवल ज़ुबान को ठीक करके हल की जा सकती हैं। विद्यालयीय जीवन में हर वर्ष नये शिक्षकों से संबंध जुड़ते हैं, पर विद्यालय-जीवन से मुक्त होने के बाद...? आप विवेक को अपना शिक्षक बनाइए, यह हर क्षेत्र में आपका बेहतर मार्गदर्शन करता रहेगा। कोई आपसे सलाह माँगे तो उसके साथ न्याय कीजिए। उसे उसके हित की सलाह दीजिए, न कि अपने हित की। Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खाते हुए मत चलिए, बोलते समय मत हँसिए, बीत गई बात के बारे में मत सोचिए, किए गए उपकार का स्मरण मत कीजिए और दो लोगों की बात के बीच में मत जाइए, क्योंकि यही वे पाँच कारण हैं जिसके चलते आप मूर्ख कहला बैठेंगे। कोई अच्छी बात बताए तो उसे मानिए, यह मत देखिए कि वह ख़ुद उसे जी पाता है या नहीं। आख़िर हलवाई की दुकान से मिठाई लेते वक़्त हम यह कहाँ देखते हैं कि वह ख़ुद उस मिठाई को खाता है या नहीं। वह उपदेश उत्तम नहीं होता जिसे सुनकर लोग वाहवाही करे, वरन् वह उत्तम है जिसे सुनकर लोग गंभीरतापूर्वक विचार करें। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ■ आप ऐसा व्यवहार कीजिए कि सख़्त दिल टूट जाए और टूटे हुए दिल आपस में जुड़ जाएँ । भाषण देते समय इतनी देर तक मत बोलते रहिए कि आपको सुनने के लिए इंसानों की बजाय मोम की मूर्तियाँ बैठानी पड़े । ■ अपनी बात को सरस और प्रभावी बनाने के लिए उसमें एक-आध उदाहरण, कहानी और पुस्तक का समावेश अवश्य कीजिए । बात का वज़न चार गुना बढ़ जाएगा । 83 10 Q Jain Educationa International 17 12 th For Personal and Private Use Only 2 A Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्यों जिएँ धर्म के उसूल इस संसार - सागर में धर्म ही शरण है, गति है, प्रतिष्ठा है। अहिंसा, सत्य, अचौर्य, अपरिग्रह और शील का पालन धर्म के पाँच चरण हैं । धर्म करने वालों की तो रात्रियाँ भी सफल होती हैं जबकि अधर्म करने वालों के तो दिन भी निष्फल चले जाया करते हैं । ■ अहिंसा सारे संसार की सुरक्षा का आधार है । जैसे दुःख हमें प्रिय नहीं है वैसे ही किसी भी जीव को दुःख प्रिय नहीं है। यह जानकर हमें सबके प्रति प्रेम और मित्रता का हाथ बढ़ाना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चाहिए । ■ सत्य में व्रत, तप, संयम और समस्त गुणों का निवास है। हम सत्य-धर्म का आचरण करें । सत्यवादी व्यक्ति माँ की तरह विश्वसनीय, गुरु की तरह पूज्य और स्वजन की भाँति सबको प्रिय होता है । चोरी, रिश्वत या मिलावट करके कमाया गया धन विनाश के रास्ते खोलता है। पराये धन पर ग़लत नज़र डालने की बज़ाय माँगकर खाना कहीं ज़्यादा अच्छा है । ■ प्राणी अकेला आता है, अकेला जाता है, जब यही सच है तब फिर संचित धन, वस्तु और ज़मीन पर आसक्ति की जंज़ीर क्यों डाली जाए । शील का पालन श्रेष्ठ व्रत और तप है । पर स्त्री और पर-पुरुष की तो कल्पना करना भी पाप है, हमें स्वयं की पत्नी अथवा पति के साथ भी संयम से जीना चाहिए । हुए हे जीव ! अब तो शांत रह । कब तक यों ही क्रोध करते अपनी आत्मा को गिराता रहेगा और दूसरों के दिलों को जलाता रहेगा ? 85 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रोध यमराज है, लोभ वैतरणी नदी है, ज्ञान कामधेनु है और संतोष नन्दन-वन है। गुस्सा थूकिए और क्षमा कर दीजिए। ऐसा करके देखिए, आप पर प्रभु की रहमत बरसेगी और दिल को सुकून भी मिलेगा। - प्रेम धरती को स्वर्गलोक बनाने का रास्ता है। हम हर किसी को अपने प्रेम का पात्र बनाएँ फिर चाहे वह कहीं का भी हो, कोई भी हो। विनम्रता उस बेंत की तरह है जो मुड़कर भी नहीं टूटती। विनम्रता को जीने के चार चरण हैं - 1. पड़ौसी का भी सम्मान कीजिए, 2. कड़वी बात का मिठास से जवाब दीजिए, 3. क्रोध आने पर चुप रहिए और 4. अपराधी को दंड देते समय भी कोमलता रखिए। जीवन में जो कुछ होता है, उसके पीछे नियति की एक व्यवस्था काम करती है, यह सोचकर हानि हो जाने पर चिंतित न हों और लाभ हो जाने पर अहंकारी न हों। 861 Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मृत्यु जीवन में एक बार आती है और वह वक़्त से पहले कभी नहीं आती। फिर भय कैसा? विश्वास रखिए, ईश्वर आपके साथ है। - बोलना अगर चाँदी है तो मौन रहना सोना है। बोलने से रिश्ते बनते या बिगड़ते हैं, पर शांति के फल तो मौन के वृक्ष पर ही लगते हैं। बचपन में किया गया ज्ञानार्जन जीवन की नींव है। कोशिश कीजिए हर दिन कुछ पल अच्छी किताबें पढ़ी जाएँ। तब भी, जब मौत आए; ताकि अगले जन्म में भी हमारे लिए ज्ञान की धारा बनी रहे। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्या प्रार्थनाओं का जवाब मिलता है? - परम पिता परमेश्वर पर विश्वास कीजिए। वे हमारे जीवन के आध्यात्मिक संरक्षक हैं। मुसीबत पड़ने पर वे हमारी मदद करते हैं और हमें सदा सही दिशा दिखाते हैं। • प्रभु से प्रार्थना करने के लिए किसी तरह की औपचारिकता की ज़रूरत नहीं होती।आप जब चाहें, जहाँ चाहें प्रार्थना कर सकते हैं कि हे प्रभु! हमारी मदद कीजिए। - किसी मंदिर या पूजाघर में जाकर प्रभु से प्रार्थना करने में कोई Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - • आप कहीं भी, कभी भी प्रभु से संवाद कर सकते हैं, पर इतना ज़रूर ख़याल रखना चाहिए कि प्रभु से की गई प्रार्थना महज़ शब्दों का खेल न हो । 聯 बुराई नहीं है, पर प्रभु का सच्चा निवास तो हम सबके हृदय में है । आप अपने भीतर बसे प्रभु के आगे अपना आत्मसमर्पण कीजिए । 89 प्रभु से अपने लिए कुछ माँगना स्वार्थ नहीं है। प्रभु से कुछ कहना या माँगना स्वार्थ कैसे हो सकता है ? अपन लोग तो प्रभुकी पुत्र-पुत्रियाँ हैं । प्रभु सर्वत्र हैं। वे अपनी हर संतान के साथ हैं । आप जब चाहें, प्रभु से नाता जोड़ सकते हैं । बस, फोन उठाएँ और नंबर मिला लें। प्रभु चाहते हैं कि आप अपना हँसता- खिलखिलाता भरपूर जीवन जिएँ । वे हमारे भाग्य में कोई रोड़ा नहीं अटकाते, बल्कि हमारे भाग्य को अनुकूल बनाने में हमारी मदद करते हैं । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - यह कितनी खूबसूरत बात है कि सुख में प्रभु हमारे साथ चलते हैं, पर दुःख आने पर वे हमें अपनी गोद में उठा लेते हैं। * जीवन में किसी चमत्कार की उम्मीद तभी कीजिए जब आप प्रभु से सच्चा प्रेम करते हैं। भूकम्प, ज्वालामुखी और सुनामी-लहरों का सामना करते हुए यह ख़याल आता है कि प्रभु! तुम्हारी सहायता के बिना हम कितने असहाय हैं। ॥ संकट की घड़ी आने पर भी धीरज रखना प्रभु पर दृढ़ आस्था __ रखने के समान है। दिमाग़ में बार-बार उठने वाली चेतावनियों और अन्तरप्रेरणाओं पर गौर करें। क्योंकि मुमकिन है कि प्रभु हमारी अन्तरात्मा में प्रकट होकर हमें कुछ संकेत दे रहे हों। विश्वास रखिए, प्रभु जो करते हैं हमारे हित के लिए करते 190 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हैं। हम उनके प्रति शिकवा - शिकायत न पालें । आज नहीं तो कल, हमें उनके कार्य का रहस्य समझ में आ जाएगा । ■ प्रभु का ध्यान और प्रार्थना करते हुए मुस्कुराइए और आभार प्रकट कीजिए। उन ख़ुशियों और वरदानों के लिए जो प्रभु ने हमें दी हैं । 91 I प्रभु के समक्ष ज़्यादा मिन्नतें मत कीजिए । वे सर्वज्ञ हैं । वे हमारे हित-अहित का पूरा ख़याल रखते हैं। आप तो बस दिल से तार जोड़ते हुए अपनी प्रार्थना कीजिए और उसे पूरा करने का दायित्व प्रभु पर छोड़ दीजिए । ■ जीवन में कुछ सपने और लक्ष्य बनाइए । प्रभु का संदेश है कि काम कितना भी कठिन क्यों न हो, कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से मनचाही सफलता पाई जा सकती है । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साँसों के समुद्र में डूबते जाएँ - W wwanimoong स्वयं की आध्यात्मिक सच्चाइयों से रू-ब-रू होने का मार्ग है ध्यान। ध्यान धर्म भी है, विज्ञान भी। यह व्रत भी है और विकास का द्वार भी। - ध्यान वह विज्ञान है जिससे अशांति, उद्वेग, आक्रोश और विकारों से घिरे मन का समाधान निकल सकता है। ध्यान क्रिया नहीं है। यह सारी क्रियाओं के शान्त होने पर घटित होता है। - सचेतन प्राणायाम ध्यान का प्रवेश द्वार है। साँसों को शांत गति से गहराई देते चलना प्राणायाम है। 921 Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ■ प्राणायाम करते समय साँसों का मूल्यांकन मत कीजिए । बस, गहरी साँस लीजिए, लेते रहिए । साँसों के समुद्र में डूबते जाइए। साँस धीरे-धीरे स्वतः लयबद्ध और शांत होती जाएगी । श्वासरहित स्थिति घटित होते ही ध्यान की अन्तर- दशा प्रगट हो जाएगी । साँस सेतु है स्वयं की अन्तस्- चेतना तक पहुँचने का । चेतना स्वयं साँस लेती है । साँस, शरीर और मन में एकलयता लाने के लिए सचेतन साँस लीजिए या सोहम् - भीतर उतरती साँस के साथ सो और बाहर निकलती साँस के साथ ऽहम् की स्मृति बनाए रखिए । ■ चित्त की शांत और निर्मल स्थिति ही ध्यान है। ध्यान कब, किस क्षण घटित होगा, कहा नहीं जा सकता। ज्यों-ज्यों ध्यान का अभ्यास गहरा होता जाएगा, ध्यान हमारा सहचर होता जाएगा । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ का प्रयासपूर्वक किया गया ध्यान एकाग्रता है, अनायास घटित होने वाली एकाग्रता ध्यान है। ध्यान एक तरह का मौन है, शांति है, आनंद है, बोध है। जब हम आनंद में होते हैं, तब हम अपने अस्तित्व में ही होते हैं। का ध्यान बुद्धि की गुफा में प्रवेश है। हम बुद्धि की गुफा में प्रवेश करने से पूर्व हृदय के द्वार खोलें । हृदय सत्य का द्वाररहित द्वार है। हम साँसों के जरिए हृदय में उतरते जाएँ, दोनों काखों के मध्य क्षेत्र में व्याप्त होते जाएँ। हृदय शांति का धाम है। वहाँ स्वर्ग जैसी शांति है। स्वर्ग का रास्ता वास्तव में हृदय से ही खुलता है। का ध्यान आनंद, आह्लाद और अहोभाव का अनुभव है। यह फूलों की खिलावट की तरह है। साक्षीत्व ध्यान की आत्मा है। ध्यान में हम थोड़े-थोड़े नहीं जा सकते। इसमें जब भी प्रवेश होता है समग्रता से होता है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ध्यान में जीने वाले महल में रहें या जंगल में, इससे उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता। वे संसार के प्रति प्रेम और करुणा से भर उठते हैं। वे जहाँ होते हैं उनकी शांति और दिव्यता से वातावरण चार्ज रहता है। ध्यान को सरलता से जीने के लिए क्यों न अपने हर कार्य को ध्यानपूर्वक करने की आदत डाली जाए। ध्यानपूर्वक खाइए, ध्यानपूर्वक कार चलाइए, ध्यानपूर्वक दाढ़ी बनाइए और ध्यानपूर्वक सोइए। ध्यान को हर क्रिया के साथ जोडिए, ध्यान हमें हर क्रिया का आध्यात्मिक परिणाम देगा। - ध्यान की एक बैठक 30 मिनट की कीजिए, एकांत-शांत वातावरण में बैठिए, बाहर-भीतर से मौन और अन्तरलीन होते जाइए, ध्यान का आभामण्डल आपको स्वतः आनंदित और सत्यबोध से भरता जाएगा। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्या माँगें प्रभु से? - • परमपिता परमेश्वर का यश और उसकी आभा सर्वत्र व्याप्त है। उसे केवल मंदिर-मस्जिद तक ही मत देखिए। - माता-पिता, गुरुजन, किलकारी भरता बच्चा और घर आया अतिथि - भगवान की ही अभिव्यक्तियाँ हैं। आप इनसे प्यार कीजिए, इन्हें सम्मान दीजिए और जो कुछ आपके पास है इनके साथ मिल-बाँटकर उसका उपभोग करने का आनन्द लीजिए। • प्रभु को इस बात से कोई प्रयोजन नहीं है कि आप उसे किस पंथ और पथ से पाना चाहते हैं, प्रभु को सिर्फ इस बात से सरोकार है कि आप उसे कितना पाना चाहते हैं। 96 wmummmmmmmmm rit Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ w maanananesammemaramananemiamommmmmmmmon annawwanmkarinamumemamaruminiuminumanumaniramine - ईश्वर इतना महान् है कि सारा स्वर्गलोक भी उसके सिंहासन के लिए छोटा पड़ता है और इतना सरल है कि हम सबके छोटे से अंतरघट में समा जाता है। = प्रभु-भक्ति का मतलब यह नहीं है कि आप रात-दिन उसके मंदिर में बैठे रहें। प्रभु-भक्ति का अर्थ है कि आप हर सुबह प्रभु को याद करें और अपने व्यावहारिक जीवन में प्रभु की आज्ञाओं का पालन करें। हर समय दिल में प्रभु को याद रखिए ताकि संकट की घड़ी आने पर हमारे दिल में उसका सामना करने का आत्मबल बना रहे। वह सुख की घड़ी में हमारे पीछे चलता है, पर दुःख आने पर हमें अपनी गोद में उठा लेता है। - ईश्वर हममें है, अगर हम भी ईश्वर में हो जाएँ तो हमारे जीवन की समस्याओं का खुद-ब-खुद अंत हो जाए। womeomanamanorainer sernmenawhnarmananemonitoranakam wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwmomaamanan e ws Jain Educationa international For Personal and Private Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दिन में चौबीस घंटे होते हैं। हर वक़्त हम व्यापार, घरगृहस्थी और मेल-मिलाप में ही व्यस्त रहते हैं। जो हमें हर दिन 24 घंटे देता है, क्या हम उस प्रभु के लिए 24 मिनट भी निकाल पाते हैं? प्रभु को माइक पर नहीं, मन में पुकारिए। माइक पर उठी पुकार भीड़भाड़ के शोर में खो जाती है, पर मन में उठी पुकार सीधे प्रभु से लौ लगाती है। प्रभु को दिल में भी बसाइए, घर में भी रखिए और दुकान में भी उसकी छवि विराजमान कीजिए ताकि दिल से पाप न हो, भोजन भी प्रभु का प्रसाद बने और ग्राहक भी प्रभु से रिश्ता जोड़ने का आधार बने। मेहमान को अच्छी चीजें दी जाती हैं। बेटी-जंवाई को बेशकीमती वस्त्र दिए जाते हैं। नेता और न्यायाधीश को बहुमूल्य उपहार दिए जाते हैं, फिर प्रभु के आगे चवन्नीअठन्नी चढ़ाना हमारी किस मानसिकता का सूचक है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रभु के नाम पर हम हर सुबह-शाम प्रार्थना करें, अपनी कमाई का ढाई प्रतिशत दीन-दुखियों के लिए लगाएँ, महीने में एक दिन व्रत रखें और संभव हो तो वर्ष में एक बार तीर्थयात्रा के लिए अवश्य जाएँ। प्रार्थना करते समय प्रभु को अपने वे पाप और प्रायश्चित के आँसू अवश्य समर्पित कीजिए, जिन्हें आपने अपने अज्ञान, उत्तेजना और मूर्छा में कर डाले हैं। प्रभु से माँगना है तो माँगिए - 1. अच्छा स्वभाव 2. मेहनत की कमाई 3. परोपकार में खर्च किया जा सके ऐसा धन 4. भाई-भाई में संप और 5 कष्टों को झेलने की ताक़त। हे प्रभु ! इस जगत को सुधारना, पर उसकी शुभ शुरुआत मुझसे करना। 00 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ऐसा हो संकल्प नववर्ष की पहली किरण हमें इस बात की प्रेरणा दे रही है कि हम करबद्ध होकर आज से कोई ऐसा संकल्प अवश्य लें जो हमारे जीवन की मिठास और ख़ुशहाली में अधिक बढ़ोतरी करे। जो ताला चाबी को एक ओर घुमाने से बंद होता है, वही दूसरी ओर घुमाने से खुल भी जाता है । हम अपने विचार, वाणी और व्यवहार को इस तरह घुमाएँ कि रिश्तों के बंद पड़े ताले फिर से खुल जाएँ । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only 100 Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - थोड़ा-सा इत्र भी वातावरण को तरोताज़ा कर देता है और हल्की-सी मुस्कान भी वातावरण की बोझिलता को दूर कर देती है। क्या आप अभी से मुस्कुराने का निर्णय लेंगे? मुस्कुराने से चेहरे की सुंदरता बढ़ती है और मन की स्थिति सकारात्मक बनती है। क्रोध को जीवन से 'ऑल आउट' करना है, तो हर समय मुस्कुराने की आदत डालें। हम अपने स्वास्थ्य और मन की शांति के प्रति जागरूक रहेंगे।बेहतर स्वास्थ्य के लिए सात्विक और संयमित भोजन लेंगे, रात को समय पर सोएंगे और मन की शांति के लिए क्रोध, चिंता और अतिपरिश्रम से बचेंगे। यदि आप दया-दान में विश्वास रखते हैं तो एक दया और कीजिए कि इस वर्ष से अपने कर्मचारी को हर माह तनख्वाह 101 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ के साथ 11 किलो आटा भी देने का निर्णय लेंगे। सम्भव है, आपका कर्मचारी रोज़ दूध भले ही न पी पाए, पर कम-सेकम भूखा तो नहीं सोएगा । नववर्ष पर संकल्प लीजिए कि आप रोज़ाना 20 मिनट एक अच्छी क़िताब पढ़ेंगे और उसमें से जो बात सबसे अच्छी लगेगी, उसे अपने किसी मित्र को एसएमएस करके उसे भी लाभान्वित करेंगे । अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की ज़वाबदारी तो हर कोई निभाता है, आप संकल्प लीजिए कि मैं अपनी ज़िंदगी में किसी एक ग़रीब महिला की प्रसूति, किसी एक ग़रीब बच्ची का कन्यादान और इस वर्ष किसी एक ग़रीब बच्चे की पढ़ाई का पुण्य अवश्य कमाऊँगा । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only 102 Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ■ संकल्प लीजिए कि इस वर्ष आप अपनी पत्नी के लिए जो भी साड़ी या गहना खरीदेंगे वही अपनी माँ के लिए भी खरीदेंगे। फिर चाहे माँ उसे पहने या किसी ग़रीब को दान करे । 103 यदि आप समर्थ हैं तो हर रोज़ किसी भिखारी को पाँच रुपये का नाश्ता करवा दीजिए और किसी गाय को पाँच रुपये की घास खिला दीजिए। इस पुण्य से आपके नवग्रहों के दोष दूर होंगे । कुछ संकल्प और लें :- 1. प्रतिदिन सुबह माता-पिता को प्रणाम कर आशीर्वाद लूँगा, 2. हर रविवार को आधा घंटा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ध्यान और प्रार्थना करूँगा, 3. हर माह एक दिन व्रत करूँगा, 4.जीवन में रक्तदान अवश्य करूँगा और 5. किसी परिचित । के गुज़र जाने पर उस दिन मिठाई का उपयोग नहीं करूँगा। ये पाँच संकल्प आपके लिए नये वर्ष के पंचामृत का काम करेंगे। • यदि किसी स्वजन या परिजन की मृत्यु हो जाए तो उसे नेत्रदान की प्रेरणा देंगे। किसी का नेत्रदान करना अपने लिए और उसके लिए सौ जन्मों तक नेत्रों की व्यवस्था करना है। 104 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चार्ज कवें जिंटगी जीवन ईश्वर के घर से मिला हुआ वह दहेज है जिसे पाने के लिए हमें कुछ करना नहीं पड़ा, बल्कि उपहार की तरह हम यह ख़जाना अपने साथ लाए हैं / ईश्वर ने हमें यह जीवन इस आशा के साथ दिया है कि हम इसका अच्छे से अच्छा उपयोग करेंगे। जीवन के दिन बीत रहे हैं और यह दिन-ब-दिन डिस्चार्ज हो रहा है / हमें इसे चार्ज करना है - अच्छे लक्ष्य को लेकर, अच्छे रास्तों की ओर कदम बढ़ाकर / हमें अपना जीवन इस तरह जीना है कि हमारा हर दिन हमारे लिए हैप्पी बर्थडे बन जाए / महान जीवन-दृष्टा पूज्य श्री चन्द्रप्रभ के हर वचन हमारे जीवन की बैटरी को चार्ज करते हैं, एक नई दिशा, एक नया जोश भरते हैं। हमें अपना जीवन इस तरह जीना है कि गुरुदेव द्वारा दी गई इस पुस्तक का हर पन्ना हमारे जीवन में संस्कार और समृद्धि की एल.आई.सी. निर्धारित करता है। प्रस्तुत पुस्तक हमारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी के लिए सीढ़ी-दर-सीढ़ी की तरह है। जब भी आपको लगे कि आप नकारात्मक भावों से घिरे हैं, जिंदगी की थकावट से घिरे हैं, बस पुस्तक का कोई भी पाठ पढ़ डालिए। आपको लगेगा आपकी जिंदगी दुबारा चार्ज हो गई है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Rs 25/