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खाते हुए मत चलिए, बोलते समय मत हँसिए, बीत गई बात के बारे में मत सोचिए, किए गए उपकार का स्मरण मत कीजिए और दो लोगों की बात के बीच में मत जाइए, क्योंकि यही वे पाँच कारण हैं जिसके चलते आप मूर्ख कहला बैठेंगे। कोई अच्छी बात बताए तो उसे मानिए, यह मत देखिए कि वह ख़ुद उसे जी पाता है या नहीं। आख़िर हलवाई की दुकान से मिठाई लेते वक़्त हम यह कहाँ देखते हैं कि वह ख़ुद उस मिठाई को खाता है या नहीं। वह उपदेश उत्तम नहीं होता जिसे सुनकर लोग वाहवाही करे, वरन् वह उत्तम है जिसे सुनकर लोग गंभीरतापूर्वक विचार करें।
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