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________________ है, पर जीवन के सुख-दुःख में सहभागिता निभाते वक़्त वह अर्धांगिनी बन जाती है। * पत्नी आपके लिए अपने माता-पिता, भाई-बहिन, जाति और पहचान तक का त्याग कर सकती है। वह सुबह की बनी सब्जी भी आपको पुनः शाम को परोसना पसंद नहीं करती।आप सोचें कि आप उसकी खुशियों के लिए कितनी कुर्बानियाँ देते हैं। - पत्नी के अगर सरदर्द हो तो उसे केवल 'सर का बाम' मत दीजिए, दो पल उसके पास बैठकर उसके सिर को सहलाइए। आपकी यह क़रीबी उसके लिए किसी ईश्वरीय स्पर्श से कम नहीं होगी। * पीहर से लौट कर आने पर यदि आप अपनी पत्नी का दो क़दम आगे बढ़कर स्वागत करते हैं तो यह उसके लिए एक बेशक़ीमती कार भेंट देने के समान सुकूनदेह होगी। # यह सच है कि पत्नी को सदाबहार ख़ुश रखना संसार का सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य है, पर याद रखिए पत्नी ख़ुश है तो ही आप ख़ुश हैं, नहीं तो वह आपकी ख़ुशी को ग्रहण लगा देगी। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003876
Book TitleCharge kare Zindage
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2011
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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