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हैं। हम उनके प्रति शिकवा - शिकायत न पालें । आज नहीं तो कल, हमें उनके कार्य का रहस्य समझ में आ जाएगा ।
■ प्रभु का ध्यान और प्रार्थना करते हुए मुस्कुराइए और आभार प्रकट कीजिए। उन ख़ुशियों और वरदानों के लिए जो प्रभु ने हमें दी हैं ।
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प्रभु के समक्ष ज़्यादा मिन्नतें मत कीजिए । वे सर्वज्ञ हैं । वे हमारे हित-अहित का पूरा ख़याल रखते हैं। आप तो बस दिल से तार जोड़ते हुए अपनी प्रार्थना कीजिए और उसे पूरा करने का दायित्व प्रभु पर छोड़ दीजिए ।
■ जीवन में कुछ सपने और लक्ष्य बनाइए । प्रभु का संदेश है कि काम कितना भी कठिन क्यों न हो, कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से मनचाही सफलता पाई जा सकती है ।
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