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• टीवी के युग में अब बच्चे माँ-बाप पर नहीं, कोई कार्टून
टीवी पर जा रहा है तो कोई जी टीवी पर, तो कोई फैशन टीवी पर । यदि हमने इस टीवी के डिब्बे पर चलने वाले चैनलों से अपने बच्चों को न बचाया तो ये डिब्बे हमारे घर-परिवार के संस्कारों पर लादेन के हमलों से कहीं अधिक ख़तरनाक हमले कर बैठेंगे। बच्चों को सही दिशा मिल जाए तो ये किसी अब्दुल कलाम के व्यक्तित्व को चरितार्थ कर सकते हैं, नहीं तो ग़लत दिशा मिलने पर ये ही ओसामा लादेन का नकाब पहन बैठेंगे। बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए अपने परिवार का माहौल अच्छा बनाएँ, क्योंकि परिवार ही बच्चे की वह पहली पाठशाला है जहाँ उसे जीवन के हर क्षेत्र का पहला पाठ तथा पहला संस्कार उपलब्ध होता है।
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