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तथा प्यासे कौवे' की कहानी से प्रेरणा लेकर फिर से जुट जाइए। याद रखिए : जूझने में ही जीत का राज़ छिपा है। माना कि हमने लक्ष्य बनाया, संघर्ष किया, प्रार्थना की, पर राह कठिन होने की वजह से जल्दी ही मैदान छोड़ दिया। काश, हम थोड़ा-सा और धीरज रखते और लगन से थोड़े समय और जुटे रहते, तो वह चमत्कार घटित हो
सकता था, जिसकी हमें चाह थी। - इस वाक्य पर गौर कीजिए : 'यदि मै ठान लूँ तो कुछ भी कर सकता हूँ।' बस, इसे टॉनिक की तरह पी लीजिए और फिर आज़माकर देखिए। हमारा व्यक्तित्व ऊर्जा
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