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ईश्वर ने इंसान को हँसने का जन्मजात गुण देकर सुंदरता बढ़ाने का राज़ दे दिया है। सदाबहार हँसी आपको उस लक्ष्य तक पहुँचा सकती है जिसे पाने के लिए लोग वनवासी और संन्यासी बनते
- हँसना और हँसाना एक चुनौती भरा कार्य है। जब ईश्वर ने अपन लोगों को यह गुण दिया है तो फिर हँसने में हम कंजूसी क्यों बरतते हैं ? • इंसान रोता हुआ भले ही पैदा हो, पर जीवन की धन्यता इसी में है कि वह हँसता हुआ धरती से जाए। हम हँसें और दुनिया रोये – यह कबीर की वाणी है वहीं हम रोएँ और दुनिया हँसे यह जीते-जी मरने के समान है।
• दूसरों पर आप तो क्या, एक मूर्ख भी हँस सकता है, पर
खुद पर हँसने वाले तो कोई महर्षि ही होते हैं।
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