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क्रोध यमराज है, लोभ वैतरणी नदी है, ज्ञान कामधेनु है और संतोष नन्दन-वन है। गुस्सा थूकिए और क्षमा कर दीजिए। ऐसा करके देखिए,
आप पर प्रभु की रहमत बरसेगी और दिल को सुकून भी मिलेगा। - प्रेम धरती को स्वर्गलोक बनाने का रास्ता है। हम हर किसी
को अपने प्रेम का पात्र बनाएँ फिर चाहे वह कहीं का भी हो, कोई भी हो। विनम्रता उस बेंत की तरह है जो मुड़कर भी नहीं टूटती। विनम्रता को जीने के चार चरण हैं - 1. पड़ौसी का भी सम्मान कीजिए, 2. कड़वी बात का मिठास से जवाब दीजिए, 3. क्रोध आने पर चुप रहिए और 4. अपराधी को दंड देते समय भी कोमलता रखिए। जीवन में जो कुछ होता है, उसके पीछे नियति की एक व्यवस्था काम करती है, यह सोचकर हानि हो जाने पर चिंतित न हों और लाभ हो जाने पर अहंकारी न हों।
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