Book Title: Charge kare Zindage
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 94
________________ ■ प्राणायाम करते समय साँसों का मूल्यांकन मत कीजिए । बस, गहरी साँस लीजिए, लेते रहिए । साँसों के समुद्र में डूबते जाइए। साँस धीरे-धीरे स्वतः लयबद्ध और शांत होती जाएगी । श्वासरहित स्थिति घटित होते ही ध्यान की अन्तर- दशा प्रगट हो जाएगी । साँस सेतु है स्वयं की अन्तस्- चेतना तक पहुँचने का । चेतना स्वयं साँस लेती है । साँस, शरीर और मन में एकलयता लाने के लिए सचेतन साँस लीजिए या सोहम् - भीतर उतरती साँस के साथ सो और बाहर निकलती साँस के साथ ऽहम् की स्मृति बनाए रखिए । ■ चित्त की शांत और निर्मल स्थिति ही ध्यान है। ध्यान कब, किस क्षण घटित होगा, कहा नहीं जा सकता। ज्यों-ज्यों ध्यान का अभ्यास गहरा होता जाएगा, ध्यान हमारा सहचर होता जाएगा । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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