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बातें काम की, ज्ञान की और
ज़ुबान की
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प्रभु का काम है हमारे दु:ख-दर्द को दूर करना। यदि हम प्रभु की सेवा करना चाहते हैं तो हम भी किसी दीन-दुखी की मदद करके प्रभु के काम को आगे बढ़ा सकते हैं। किसी भी बिन्दु पर सोचिए शांति से, पर जब उसे मूर्त रूप
देना हो तो कीजिए तेजी से। । किसी ख़ास अवसर पर रुपयों का लिफ़ाफ़ा या फूलों का
गुलदस्ता भेंट देने की बजाय ऐसी वस्तु का उपहार दीजिए जो अवसर के बीत जाने के बाद भी उपयोग में आती रहे।
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