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8 महान् विचार और प्रेरणाओं से एक श्रेष्ठ पुस्तक किसी को
देना अंधेरे में खड़े इंसान को रोशनी भरा दीपक थमाने के समान है। जो मन में आए वह न तो बोलिए और न कीजिए। वाणी, व्यवहार और कर्म वही कीजिए जिसके पीछे आपके श्रेष्ठ चिंतन और बुद्धि की रोशनी हो। जुबान पर मिठास घोलिए। जीवन की आधी समस्याएँ तो केवल ज़ुबान को ठीक करके हल की जा सकती हैं। विद्यालयीय जीवन में हर वर्ष नये शिक्षकों से संबंध जुड़ते हैं, पर विद्यालय-जीवन से मुक्त होने के बाद...? आप विवेक को अपना शिक्षक बनाइए, यह हर क्षेत्र में आपका बेहतर मार्गदर्शन करता रहेगा। कोई आपसे सलाह माँगे तो उसके साथ न्याय कीजिए। उसे उसके हित की सलाह दीजिए, न कि अपने हित की।
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