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गृहलक्ष्मी स्थायी । गृहलक्ष्मी को इतना प्यार दीजिए कि घर से गई लक्ष्मी की याद न सताए ।
सुबह उठने पर माता-पिता के चरण स्पर्श कीजिए और भाई-भाई गले मिलिए, यह ईद का त्यौहार बन जाएगा। दोपहर में देवरानी-जेठानी साथ-साथ खाना खाइए, यह होली का पर्व बन जाएगा। रात को बड़े-बुजुर्गों की सेवा करके सोइए, आपके लिए आशीर्वादों की दीवाली हो जाएगी।
परिवार में अगर धन का बँटवारा हो तो आप ज़मीन-जायदाद की बजाय, माता-पिता की सेवा को अपने हिस्से में लीजिएगा। धन तो उनके आशीर्वादों से स्वतः चला आएगा।
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