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कुछ ऐसा
करें कि...
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- सोचिए वही जिसे बोला जा सके और बोलिए वही जिस पर
हस्ताक्षर किए जा सकें। - अपनी वाणी को वीणा की तरह मधुर बनाइए, बाण की तरह
नुकीला नहीं, ताकि वह मधुर संगीत की तरह सबको प्रिय लगे। ख़ुद से ग़लती हो जाए तो बेझिझक माफ़ी मांग लीजिए और दूसरों से गलती हो जाए तो माफ़ करने का बड़प्पन दिखाइए। तन-मन को स्वस्थ और सकारात्मक बनाए रखने का यही राज़ है। - आप अपने बच्चों को बुरी नजर से बचाकर रखते हैं, पर बुरी
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