Book Title: Charge kare Zindage
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 33
________________ रहिए, आराम से सुनिए। महिलाओं की आदत होती है कि पहले वह भीतर से भरती है, फिर उगलती है, फिर रोती है, बशर्ते आप शांत रहते हैं तो। * पत्नियाँ छोटे बच्चों की शरारतें और घरेलू परेशानियाँ अकेली ही झेलती हैं। जब आप रात को घर देर से वापस आते हैं तो वह इसे बर्दाश्त नहीं कर पाती। तब वह आपकी छोटी-सी ग़लती पर भी बरस पड़ती है। प्लीज़! आप उसके गुस्से की ओर ध्यान न दें, प्रेशर कूकर में भाप ज्यादा बढ़ जाएगी तो बाहर तो आएगी ही।आप अपने मुँह के चूल्हे को बंद कीजिए, थोड़ी देर में सब सामान्य हो जाएगा। * अपनी पत्नी को 'तू' या 'तुम' कहने की आदत सुधारिए। अपनी जीवन-संगिनी को सबके बीच 'आप' कहकर अपने लिए सम्मान की शाश्वत व्यवस्था कीजिए। - पत्नी के साथ समझौतावादी नजरिया अपनाइए । यदि कभी अंगद के पाँवों की तरह अडिग रहना हो तो ध्यान रखें कि हम केवल राजा के लिए ही लड़ें, प्यादों को भले ही कुर्बान कर दें। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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