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■ अपने बच्चों को अच्छे विद्यालयों में पढ़ाएँ, पर ऐसे विद्यालयों में न पढ़ाएँ जहाँ पर संस्कारों की कुर्बानी देनी पड़ती हो।
• अपने बच्चों को लाइफ़ मैनेजमेंट के गुर सिखाएँ ताकि वे कब उठना, क्या पहनना तथा कैसे खाना जैसी ज़रूरी बातों का प्रबंधन पहले सीख सकें।
■ अपने बच्चों में प्रतिदिन बड़ों को प्रणाम करने की आदत डालें। प्रणाम तो दुश्मन को भी करेंगे तब भी बदले में दुआओं की दौलत ही उपलब्ध होगी।
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बच्चों को उनके जीवन में सही लक्ष्य चुनने में मदद करें। बिना लक्ष्य का जीवन तो उस कटी पतंग की तरह होता है जिसे कोई भी राहगीर कंटीली झाड़ी में फँसा सकता है। 'अर्जुन की आँख' ही हर सफलता तक पहुँचने की सीढ़ी है।
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