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बच्चों पर प्यार भरा अनुशासन रखें। उन्हें एक स्वतंत्र मुक्त पौधे की तरह बढ़ने दें। ज़्यादा टोका-टोकी करके यदि हम पौधे की टहनियाँ काटने की कोशिश करेंगे तो वे एक स्वस्थ पौधे की बजाय बौना पौधा बनकर रह जाएँगे। बच्चों को लाड़ करें, पर इतना भी नहीं कि वे बिगडैल और जिद्दी बन जाएँ। बच्चों को गुस्सा आ जाए, तो बुरा न मानें। वे बाल-बुद्धि हैं, उन्हें बताएँ कि गुस्सा करने से दिमाग़ और भाग्य दोनों कमज़ोर हो जाते हैं। उन्हें प्यार से समझाएँ,
वे समझ जाएँगे। । बच्चों की प्रतिभा आपके जीवन की सबसे बड़ी दौलत है।
आप अपने बैजू बावरा की प्रतिभा पहचानें और उस प्रतिभा को निखारने में उसे पूरा-पूरा सहयोग और आशीर्वाद दें।
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