Book Title: Bharatiya Sanskriti Ke Vikas Me Jain Vangamay Ka Avdan Part 02
Author(s): Nemichandra Shastri, Rajaram Jain, Devendrakumar Shastri
Publisher: Prachya Shraman Bharati
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वस्तुपरक समझ को साधना की शैली में अन्तर्लीन कर तात्विक परिष्कार के नव-बिम्बों की इन्द्रधनुषी छटा के सौन्दर्य को आध्यात्मिक क्षितिज पर भी बिखेर रही है।
पूज्य गुरुदेव की मंगल प्रेरणा से प्रकाशित हो रही प्रस्तुत कृति स्व. प्रो. (डॉ.) नेमिचन्द्र शास्त्री के बहुमुखी प्रतिभाशाली एवं बहुआयामी व्यक्तित्व की सर्जनाशीलता से पाठकों को परिचित कराती है। प्रो. (डॉ.) शास्त्री का चिन्तन फलक साहित्य, कला, व्याकरण, दर्शन, ज्योतिष आदि विषयों को अपने प्रामाणिक रूप में संजोता है। इन क्षेत्रों में उन्होंने मौलिक ग्रन्थों का सृजन किया है, भारतीय ज्योतिष, तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, आदिपुराण में प्रतिपादित भारत, संस्कृत गीतिकाव्यानुचिन्तनम्, महाकवि भास, संस्कृत काव्यों के विकास में जैन कवियों का योगदान, मंगलमन्त्र णमोकारः एक अनुचिन्तन, आचार्य हेमचन्द्र और उनका शब्दानुशासन, भद्रबाहु संहिता, हिन्दी जैन साहित्य परिशीलन, केवलज्ञान प्रश्न चूड़ामणि आदि उनकी ऐसी रचनाएँ हैं जो भारतीय साहित्याकाश में कालजयी हैं। स्व० (प्रो०) (डॉ.) शास्त्री ने अपनी प्रखर-प्रांजल तेजस्विनी लेखनी के माध्यम से भारत की समस्त उज्ज्वलताओं का अभिमन्थन कर अपनी सर्जना से सम्पूर्ण बौद्धिक विश्व को एक नया विश्वास, नयी आशा, अभिनव आस्था और चिरस्मरणीय प्रेरणा दी है। श्रमण संस्कृति की उस परमोज्ज्वला धारा के इस अनुकरणीय साधक की, जिसे काल ने हमसे मात्र चौवन वर्षों के अनन्तर ही छीन लिया, अप्रतिम गौरव-गाथा को हमारी संस्था आदर पूर्वक प्रणाम करती है और उनका अपनी सम्पूर्ण निष्ठा, आत्मीयता, शोभा-शालीनता के साथ सम्मान करते हुए प्रमुदित है। साथ ही पूज्य गुरुदेव के प्रति यह संस्था पुनः-पुनः आदर व्यक्त करती है कि उन्होंने इस तत्वदर्शी चिन्तक, वाग्मी, श्रुत-आराधक के कालजयी शोधालेखों के प्रकाशन की मंगल प्रेरणा दी एवं इस हेतु हमें अपने मंगल आशीष से अभिसिंचित भी किया।
सुधी पाठकों के हाथों में यह कृति समर्पित है। पूज्य उपाध्याय श्री का मंगल मार्गदर्शन हमारी संस्था को प्राप्त होता रहे एवं जन-चेतना के सर्जनात्मक परिष्कार एवं उसके मानसिक सौन्दर्य के विकास हेतु हमारे प्रयासों को सतत् मार्ग मिलता रहे, यही हमारे चित्त के मंगल भाव हैं।
प्राच्य श्रमण भारती
मुजफ्फरनगर
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