Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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(XIII)
७३४
सातवां, आठवां और नवां गमकः उत्कृष्ट और औधिक, उत्कृष्ट और जघन्य, उत्कृष्ट और उत्कृष्ट) चौदहवां आलापक : असुरकुमार देव के रूप में संख्यात वर्ष की आयु वाले पर्याप्त-संज्ञी- मनुष्यों का उपपात - आदि
तीसरा उद्देशक
७३४
७३५
नागकुमार अधिकार
७३५
पन्द्रहवां आलापक : नागकुमार देव के रूप में असंज्ञी-तिर्यंच-पंचेन्द्रिय-जीवों का उपपात
-आदि
७३५
सोलहवां आलापक : नागकुमार देव के रूप में असंख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी- तिर्यंच-पंचेन्द्रिय- (यौगलिकों) का उपपात-आदि
(पहला गमक : औघिक और औधिक) ( दूसरा गमक : औघिक और जघन्य ) (तीसरा गमक : औधिक और उत्कृष्ट) (चौथा, पांचवां और छट्टा गमक : जघन्य और औधिक, जघन्य और जघन्य, जघन्य और उत्कृष्ट) ७३६ (सातवां, आठवां और नवां गमक : उत्कृष्ट और औधिक, उत्कृष्ट और जघन्य, उत्कृष्ट और उत्कृष्ट) सत्रहवां आलापक : नागकुमार देव के रूप में संख्यात वर्ष की आयु वाले पर्याप्त-संज्ञी- तिर्यंच-पंचेन्द्रिय-जीवों का उपपात-आदि
७३६
७३५
७३५
७३६
७३६
७३७
७३६ (पहला गमक : औघिक और औधिक) ७३७ (दूसरे से नवें गमक तक) अठारहवां आलापक : नागकुमार देव के रूप में असंख्यात वर्ष की आयु वाले ( पर्याप्त - ) -संज्ञी- -मनुष्य- ( यौगलिकों) का उपपात - -आदि (पहला, दूसरा और तीसरा गमक : औधिक और औधिक, औघिक और जघन्य, औधिक और उत्कृष्ट)
७३७
७३७
(चौथा, पांचवां और छट्टा गमक : जघन्य और औधिक, जघन्य और जघन्य, जघन्य और उत्कृष्ट) ७३८ (सातवां, आठवां और नवां गमक : उत्कृष्ट और औधिक, उत्कृष्ट और जघन्य, उत्कृष्ट और उत्कृष्ट)
७३८
उन्नीसवां आलापक : नागकुमार देव के रूप में संख्यात वर्ष की आयु वाले पर्याप्त-संज्ञी- मनुष्यों का उपपात - आदि
(पहले से नवें गमक तक) चौथा - ग्यारहवां उद्देशक
बीसवां आलापक : सुपर्णकुमार से स्तनित
- कुमार का अधिकार बारहवां उद्देशक
-
पृथ्वीकाय का अधिकार इक्कीसवां आलापक:
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७३८
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पृथ्वीकायिक-जीवों में पृथ्वीकायिक-जीवों का उपपात-आदि
७३९
७४०
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७४०
७४०
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७४१
७४१
(पहला गमक : औघिक और औधिक) ७३९ (दूसरा गमक : औघिक और जघन्य ) (तीसरा गमक : औधिक औश्र उत्कृष्ट) ७४० (चौथा गमक : जघन्य और औधिक) (पांचवां गमक : जघन्य और जघन्य ) (छट्टा गमक : जघन्य और उत्कृष्ट) (सातवां गमक : उत्कृष्ट और औधिक) (आठवां गमक : उत्कृष्ट और जघन्य ) (नवां गमक : उत्कृष्ट और उत्कृष्ट ) बाईसवां आलापक : पृथ्वीकायिक-जीवों में अप्कायिक- जीवों का उपपात - आदि ७४१ (पहला गमक : औघिक और औधिक) ७४१ (दूसरे से नवें गमक तक) तेईसवां आलापक : पृथ्वीकायिक-जीवों में तेजस्कायिक- जीवों का उपपात-आदि चौबीसवां आलापक : पृथ्वीकायिक-जीवों में वायुकायिक- जीवों का उपपात-आदि पच्चीसवां आलापक : पृथ्वीकायिक-जीवों में वनस्पतिकायिक-जीवों का उपपात - आदि ७४२
७४१
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७४२