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अणुव्रत सदाचार और शाकाहार
11 मानवता एवं अहिंसा सिंचन के लिए मुनिकुंजर
आचार्यश्री आदिसागर
परमपूज्य आचार्य श्री आदिसागर अंकलीकरजी की जन्म जयंती के अवसर पर उपस्थित गुजरात के पानी पुरवठा विभाग के राज्यमंत्री श्री परबतभाई पटेल को आचार्यश्री सुनीलसागरजी ने “धर्ममना" उपाधि प्रदान कर आर्शीवाद प्रदान किया। इस अवसर पर श्री परबतभाई पटेल ने कहा कि वर्तमान समस्याओं के निवारण के लिए आचार्यश्री सुनीलसागर महामुनिराज की आवश्यकता है।
आज मुनिकुंजर आचार्य श्री आदिसागरजी महाराज की जन्म जंयती पर उपस्थित पानी पूरवठा विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री परबतभाई पटेल ने बहुत ही मार्मिक उद्बोधन देते हुए कहा कि जिन शासन सर्वोत्तम है, यह प्रभु महावीर का बताया हुआ मार्ग है, अहिंसा व दया का धर्म है जिसे आचार्य भगवन् कठिन समस्या व साधना के चरित्र द्वारा जन जन तक पहुँचा रहे हैं। जैन भले ही संख्या में कम हो किन्तु उनके द्वारा किए जाने वाले कल्याणकारी कार्य महान हैं। यहाँ उन अबोले पशुपक्षियों के लिए गौशालाएं बनाई जाती हैं जो कि अनुत्पादक व लाचार बन गए है जबकि अन्य समाज के लोग उनका उपयोग जरूरतों की संतुष्टि के लिए कर रहे हैं। इतिहास साक्षी है कि जैन समाज ने आपत्तियों के समय अपने भंडार खोलने में हमेशा उदारता दिखाई है। यह सत्य है कि यदि राजशासन धर्मशासन द्वारा निर्देशित रहे तो समाज में विकृतियां नहीं आती।
आचार्यश्री सुनीलसागरजी ने मंत्री महोदय को उनकी इस तरह की उत्कृष्ट धार्मिक भावना एवं सहज आचरण के चलते सार्वजनिक मंच पर "धर्ममना' की उपाधि से विभूषित करते हुए कहा कि इतना सुन्दर व्याख्यान कदाचित् कोई जैन नेता भी नहीं देता जो उन्होंने श्रद्धा और विश्वास के साथ प्रेम व दया की भारतीय व जैन संस्कृति के पक्ष में निर्मल मन से दिया। भारतीय संस्कृति “सर्वे भवन्तु सुखिनः" का जयघोष करती है जिसमें मानवों के साथ साथ सभी निरीह प्राणी भी शामिल है। हमारी संस्कृति में गाय को माता कहकर स्नेह दिया जाता है तो कुत्ते को वफादार मानकर प्यार। फिर किस आयातित संस्कृति ने आज भ्रमित व्यक्तियों के मन में इतनी क्रूरता भर दी कि उदरपूर्ति व स्वार्थवश अपने दयाभाव जैसे अनमोल रत्न को खोते जा रहे हैं। जबकि इस प्रेम में अपार शक्ति है कि गाय का बच्चा जन्म लेने के 2 घंटे में उठकर खड़ा हो जाता है। जानते हो क्यों? क्योंकि उसकी मां चाटकर, दुलार कर इतना प्यार देती है कि वह आत्मविश्वास व अहिंसा की ताकत से खड़ा हो