Book Title: Anuvrat Sadachar Aur Shakahar
Author(s): Lokesh Jain
Publisher: Prachya Vidya evam Jain Sanskriti Samrakshan Samsthan

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Page 40
________________ अणुव्रत सदाचार और शाकाहार जग उद्धारक भगवान महावीर स्वामी ने बिना किसी भेदभाव के सृष्टि के समस्त जीवों के प्रति दया, करूणा, प्रेम व जिओ और जीने दो का संदेश दिया था यही धर्म का और जीवन का सार है । आज जीवन जीने के लिए इसी की ही आवश्यकता है । महाकवि तुलसी दास ने सच ही कहा है 30 दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान । तुलसी दया न छांड़िए, जब लग घट में प्रान ।। संत कबीर भी अहिंसा के समर्थन में दया व करूणा के प्रसार में कहते हैं कि - हमें कभी भी अपने से निर्बल को नहीं सताना चाहिए । निर्बल को न सताइए, जाकी मोटी हाय । मुई खालकी श्वांस से सार भस्म हो जाय । जब मरे चमड़े के अंदर की हवा मात्र से लोहे जैसी मजबूत वस्तु को भस्म किया जा सकता है तो क्या निर्बलों की हाय से, मूक पशुओं के करूणामय क्रंदन से तथा उनकी बद्दुआओं के परिणाम स्वरूप क्या क्या नहीं हो सकता ? अहिंसा व प्रेम ही सर्वोत्कृष्ट वस्तु हैं । यह एक ऐसी शक्ति है जो इंसान को इंसान बनाती है। इसकी पालना सभी को अपने जीवन में पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ करनी चाहिए । आज प्रवचन के आरंभ में संघस्थ मुनिश्री सुधीरसागरजी महाराज ने गुरु महिमा के बारे में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि जिस प्रकार वर्षा ऋतु का जल सभी के लिए गुणकारी है, जीवन के लिए जरूरी है उसी प्रकार सच्चे गुरू की अमृतमयी वाणी भी संसार सागर से पार उतरने में सहायक है। जिस प्रकार रत्नों से भरा हुआ जहाज नाविक रहित होने से किनारे पर लगते लगते भी डूब सकता है इसी प्रकार गुरु सानिध्य व गुरुकृपा के अभाव में हम कभी भी भ्रमित होकर अपनी मंजिल से भटक सकते हैं, भ्रमित हो सकते हैं। गुरुकृपा हम सभी के मन को सदैव प्रफुल्लित रखती है। हम सभी सम्यग्दृष्टि जीव सच्चे देव, शास्त्र, गुरु की शरण लेते हैं । प्रत्यक्ष रूप से गुरु ही हम पर वह उपकार करते हैं जिससे हम भगवान के स्वरूप को पहचान कर, शास्त्र आगम आदि का बोध प्राप्त कर मोक्षमार्ग पर सफलता से बढ़ पाते हैं। आज के दिन अहिंसा की प्रभावना के लिए आचार्यश्री की प्रेरणा से व उनके पावन सानिध्य में सुबह 10.00 बजे से लेकर कल सुबह ता. 23.8.2018 तक महामंत्र णमोकार का अखंड पाठ श्री सन्मति समोशरण, 1008 श्री महावीर स्वामी दिगंबर जैन मंदिर, सेक्टर-21, गांधीनगर में रखा गया जिसका लाभ समस्त समाज को प्राप्त हुआ ।

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