Book Title: Anuvrat Sadachar Aur Shakahar
Author(s): Lokesh Jain
Publisher: Prachya Vidya evam Jain Sanskriti Samrakshan Samsthan

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Page 62
________________ अणुव्रत सदाचार और शाकाहार बाप भी बच्चे की फिक्र करते हैं अपने अनुभवों से उसे सिखाने की कोशिश करते हैं, आपत्तियों से दूर रखने हेतु सावधान करते हैं इसीलिए आज की युवा पीढ़ी उन्हें अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानती है उनकी सयानी सीख को अनावश्यक दखलंदाजी मान अपना ही भविष्य बिगाड़ती है। अरे! गुरुजन, माता-पिता हमारी मनमानी प्रवृत्ति को अपने अनुभव की कसौटी पर कसकर, नुकसानकारक विपत्तिदायकता की समझ देकर सतत उससे बचाने की बाहर लाने की जद्दोजहद में लगे रहते हैं । वे उन्हें स्वनिर्भर बनाना चाहते हैं, भावी मुश्किलों के सामने अडिग खड़े रहना और उनका सामना करना सिखाना चाहते हैं, उनका शिष्य या बेटा जीवन में कभी हार नहीं माने, कहीं भी पीछे न रहे, इसके लिए उसे तैयार करना चाहते हैं । 52 आचार्य गुरुवर कहते हैं "नीति कहती है कि यदि गुरु अपना सब कुछ दे देता है तो वह मात्र एक पाद अर्थात् 25 प्रतिशत ही देता है, बाकी 25 प्रतिशत सुयोग्य शिष्य अपनी बुद्धि से ग्रहण करता है, अगला 25 प्रतिशत वह अध्ययन व अभ्यास की पाठशाला में रहकर समुन्नत करता है तथा बाकी का 25 प्रतिशत वह काल के पकने पर वक्त के साथ सीखता है । कहते हैं कि- वक्त और आचार्य दोनों ही हमें सिखाते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि आचार्य गुरुवर सिखाकर परीक्षा लेते हैं जबकि वक्त परीक्षा लेकर, ठोकरें खिलाकर सिखाता है ।" गुरुवर परम उपकारी होते हैं। कुछ लोग गुरु के सिखाने पर सीख जाते हैं और जो नहीं सीखते वे वक्त की ठोकरें खाकर सीखते हैं और कई बार हम ठोकरें खा खाकर सीखने लायक तक नहीं रह जाते। उन्हें हमारी फिक्र है, हमे लायक बनाने की चिंता है इसलिए कठोरता से हमें सिखाते हैं, इसके लिए डांटते हैं जो हमें बुरा लगता है । हे भव्य आत्माओं समझो ! यदि एक फिल्म का डायरेक्टर सही तरह से अभिनेता को न समझा पाए अथवा अभिनेता डायरेक्टर की सीख पर ध्यान न दें तो एक फिल्म का जितना ही नुकसान होता है जबकि गुरुजन व माता - पिता की सीख न मानने से तो जिंदगी बर्बाद हो जाती है। इसलिए गुरुजनों से सीखने हेतु हम श्रद्धावान बनें उनकी चर्या व साधना में सहायक बने अपने आप को निज आत्म स्वरूप में ढालने का तदनरूप पुरुषार्थ करें। आज आचार्य भगवन् महावीरकीर्ति महाराज के पदारोहण दिवस पर मुनिसंघ में से कई साधु महाराजों व माताजी का दीक्षा दिवस स्मरण किया गया तथा ब्रह्मचारी सम्मेदभैया ने 7 प्रतिमा के व्रत धारण किए । आचार्य श्री महावीरकीर्तिजी महाराज के आचार्य पदारोहण दिवस के अवसर पर विनयांजलि कार्यक्रम के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रभाई

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