________________
अणुव्रत सदाचार और शाकाहार
87
संथारा का ही एक स्वरूप है। विषयों में सम्पूर्ण अनासक्ति और एक अणुव्रती की तरह श्रद्धा और विश्वास सत्यादि अणुव्रतों का पालन उनके जीवन का पर्याय था। शरीरश्रम, अस्वाद स्वदेशी आदि को जीवन मे जरूरी मानते हुए यम नियम की भांति उसे जीवन का हिस्सा बना लिया था। सार्वजनिक जीवन में रहते हुए श्रावकधर्म की श्रेष्ठ साधना का शायद ही इससे बेहतर उदाहरण मिल सके जिसमें इतनी पारदर्शिता हो। विलायत में पढ़ाई के लिए गए युवा मोहनदास ने माँ के सामने एक जैनाचार्य से मांस, मदिरा और परस्त्री सेवन न करने की प्रतिज्ञा की और उसका पूर्ण निष्ठा से पालन करते हुए ऐसी विचारधारा रखने वाले लोगों के मुँह पर तमाचा मारा जो यह मानते थे कि इसके उपयोग के बिना विदेश में जीवन संभव नहीं है। उस युवा ने वहाँ रहते हए शाकाहार सोसायटी बनाई वहाँ के लोग इनके साथ जुड़े। इसी आचरण को देखकर संभवत: गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें सर्वप्रथम महात्मा की उपाधि से नवाजा होगा। आज गांधी नामधारी तो कई एक हैं लेकिन महात्मा कोई नहीं। उनकी पत्नी कस्तूर (बा) में भी अहिंसा के संस्कार कूटकूटकर भरे थे। दक्षिण अफ्रीका में गंभीर रूप से बीमार पड़ने पर डॉक्टर ने उन्हें मांस का शोरबा लेने के लिए कहा लेकिन उन्होंने दृढ़ता के साथ इंकार कर दिया कि प्राण भले ही चले जाएं किन्तु अहिंसा का प्रण खंड़ित नहीं होगा। गांधीजी के आध्यात्मिक गुरु थे श्रीमद् राजचन्द्र जिनका उनके जीवन पर प्रभाव देखने को मिलता है।
सही मायनों में संस्कृति की रक्षा करते हुए अपना जीवन स्वयं के लिए, समाज के उत्थान के लिए तथा देश के विकास के लिए समर्पित कर दिया आज उस देश में अधिकृत संस्थाएं इसकी धज्जियां उड़ा रही हैं। गांधीजी तो विदेश में भी व्यभिचार से दूर रहे आज उसी देश की सुप्रीम न्यायायिक संस्था उसे अपराध की श्रेणी से बाहर कर देती है वह भूल जाती है मर्यादा पुरुषोत्तम राम, कृष्ण, सीता, अनुसुइया की गरिमामयी भूमिका। यहाँ महिलाओं के अधिकारों की महिला सशक्तीकरण का कोई विरोध नहीं हैं अपितु शीलरक्षा के आदर्श को बचाने का क्रांतिकारी पहल है हर बुद्धजीवी को संस्कारी को इसमें आगे आना चाहिए और विकृतियों को पनपने से रोकना चाहिए। गांधी और उनका जीवन अहिंसक जीवन के पर्याय बने इसीलिए समस्त जगत उनके जन्मदिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाने में स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता है। नेल्सन मंडेला जैसी विश्व की जो महान हस्तियां जो उनसे कभी मिली नहीं उन्होंने भी गांधी के जीवन का अनुकरण किया और इस समाज में अपना विशिष्ट मुकाम बनाया तथा लोगों के समक्ष अहिंसा की जय का उदाहरण प्रस्तुत किया।