Book Title: Anuvrat Sadachar Aur Shakahar
Author(s): Lokesh Jain
Publisher: Prachya Vidya evam Jain Sanskriti Samrakshan Samsthan

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Page 114
________________ 104 अणुव्रत सदाचार और शाकाहार सांस्कृतिक धरोहर का पोषण करना चाहिए। यह मर्यादा धर्म की, सदाचार की, अहिंसा की और शाकाहार की है जिसके पालन से हम अपने जीवन को सुन्दर, संयमित और अलमस्त बना सकते हैं। आज मस्ती का जो अर्थ लिया जाता है उसमें निरंकुशता, स्वच्छंदता से अधिक कुछ भी नहीं है जिसमें पग पग पर खतरे और फरेब हैं। इसलिए जीवन में अणुव्रत और गुणव्रतों की मर्यादा धारण कर जीवन को सार्थक बनाएं। 49 पर पीड़ा को समझने वाला ही सच्चा वैष्णवजन वैष्णवजन तो तेने कहिए, जे पीर पराई जाणे रे... गांधीजी का प्रिय भजन जो प्रेम और अहिंसा का सच्चा संदेश देता है। गांधी जयन्ती नजदीक है इसलिए इस प्रासंगिक उद्बोधन में आचार्य गुरुदेव श्री सुनील सागरजी महाराज ने कहा कि इस भजन में दया है, दूसरों के प्रति करुणा है और अहिंसा है जो जीवन का सार है। विगत वर्षों से महात्मा गांधीजी के जन्म दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपने जीवन में व्रत, यम-नियम के रूप में इस प्रकार अपना लिया था कि गांधी और ये दोनों शब्द उनका जीवन, जीने की आस्था और मकसद तथा श्रद्धा के रूप में परस्पर पर्यायवाची बन गए थे। सही मायनों में वे लोग ही धर्मात्मा कहलाने के अधिकारी हैं जिनके मन में दया है, दूसरे लिए मन में पीड़ा है, जो दूसरों की तकलीफ को समझते हैं, किसी को दुख नहीं पहुँचाते अपितु दूसरों के दुख दूर करते हैं। इतिहास साक्षी है कि परन्तु बहुत कम लोग ही ऐसे होते हैं जिनमें दया का भाव होता है अन्यथा अधिकांश लोग धर्मात्मा कहलाते हए भी धर्म के नाम पर पाखण्ड को ही बढ़ावा देते हैं। स्वार्थी और जिह्वा के लोलुपी धर्म के नाम पर यज्ञ, बलि के नाम पर जीवों का वध कराकर भोलेभाले लोगों को छलते रहते हैं। सोचो! भला ऐसे कौन से देवी देवता होंगे जो अपनी ही सृष्टि में रहने वाले जीवों का प्राण हरण करके प्रसन्न होंगे? आज से लगभग 1000 वर्ष पूर्व आचार्य अमृतचंन्द्रजी ने पुरुषार्थ सिद्धि उपाय में कहा था कि उस समय में बहुधा लोगों के मध्य कई मिथ्या भ्रांतिया फैलाई जा रही थीं जैसे कि उपद्रवी को मारने में कोई पाप नहीं है, सुखी व्यक्ति को मार देने से अथवा समाधिस्थ व्यक्ति को मार देने से उसकी वही अवस्था हमेशा के लिए बनी रहेगी और मारने वाले को स्वर्ग मिलेगा आदि। कभी धर्म के नाम पर, चमत्कार के नाम पर तो कभी हाथ की सफाई के नाम पर ठगी का यह खोटा खेल चल रहा था, उस समय प्रभु महावीर ने दृढ़ता के साथ अहिंसा

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