Book Title: Anuvrat Sadachar Aur Shakahar
Author(s): Lokesh Jain
Publisher: Prachya Vidya evam Jain Sanskriti Samrakshan Samsthan

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Page 133
________________ अणुव्रत सदाचार और शाकाहार करने वाली, सम्यक्त्व का अच्छी तरह शासन कराने वाली शारदा, श्रुतदेवी तथा सरस्वती आदि नामों से युक्त भारती जयवन्त हो । विसय - विस रेयणं, जम्ममरण छेयणं, जिणवयण मोसहं, सत्थ - हि सुहारसं । कम्मपुंज य जारदि, भवजलदि तारदि जिणवाणी सारदा, सुयदेवी सरस्सदी ।। जयदु भारदी...... । 3 ।। 123 अर्थ- विषय रूपी विषयों का विरेचन (नाश) करने हेतु व जन्ममरण का छेदन करने हेतु जिनवाणी ही औषधि है । वस्तुतः जिनवाणी (शास्त्र) ही सुधा रस जो कर्म पुंज को जलाती है और संसार समुद्र सागर से तारती है, ऐसी शारदा, श्रुतदेवी तथा सरस्वती आदि नामों से युक्त भारती जयवन्त हो ।

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