________________ 124 अणुव्रत सदाचार और शाकाहार गुरूवर के श्रीचरणों में नमन... मेरे जिस्म और जान में गुरुवर, नाम आपका है, आज अगर मैं खुश हूँ तो गुरुवर! यह अहसान आपका है। हे गुरुवर! आपके दरबार में एक खासयित देखी, आपको देते नहीं देखा, मगर झोली भरी देखी। सबके संताप को हरने वाली आपकी वातसल्यमयी मुस्कान एक ही समय में सम्पूर्णरूप से सबको अपनी सी ही लगती है जो इस पंचम काल में समवशरण की महिमा सा आभास करा जाती है। हे वर्तमान के वर्धमान, माँ सरस्वती-जिनवाणी के सुपुत्र, ज्ञान के वाहक, जन जन कल्याणी हम अल्पश्रुतों को अपना विरद निहार कर, कर लो आप समान। गुरुदेव के चरणों में कोटि कोटि वंदन, नमन नमोस्तु गुरुवर नमोस्तु गुरुवर, नमोस्तु गुरुवर। -: नमन कर्ता : श्रीमती रैन मंजूषा देवी जैन धर्म पत्नी गुरुभक्त स्व. श्री विजयस्वरूप जैन 'जमींदार'