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अणुव्रत सदाचार और शाकाहार
स्वागत किया और कहा कि इससे समाज में मैत्रीयता का वातावरण और अधिक पुष्पित पल्लवित होगा। जैन धर्म को यह योगदान आचार्य श्री सुनीलसागरजी महाराज की यह पहल प्रसंशनीय व अनुकरणीय है ।
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धर्ममय राजनीतिज्ञ जीव दया के कार्य को आगे ले जा सकते हैं
राष्ट्र गौरव आचार्यसुनील सागरजी ससंघ पधारने से पावन हुई गुजरात की धरा : मुख्यमंत्री श्री विजयभाई रूपाणी ।
यासों के प्राणों की प्यास बुझा दे उसे पानी कहते हैं । जो राजनीति में रहकर धर्मनीति व दया अनुसरे, उसे विजय रूपाणी कहते हैं ।
गुजरात की राजधानी में राष्ट्र गौरव प्राकृताचार्य चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री सुनील सागरजी महाराज के सानिध्य में भव्य मानस्तंभ प्रतिष्ठा महोत्सव चल रहा है। आज जन्मकल्याण का दिन विशेष था । हमारे राज्य के सरलस्वभावी मुख्यमंत्री श्री विजयभाई रूपाणी वीर प्रभु के दर्शन करते हुए आचार्यश्री का आशीर्वाद लेने हेतु सन्मति समवशरण में पधारे। उन्होंने गुरुदेव को श्रद्धा से वंदन करते हुए कहा कि गुजरात की धरती पर परमपूज्य आचार्य भगवान का समग्र राज्य की जनता की ओर से बहुत स्वागत है। आचार्य भगवन् ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि यदि सभी राज्यों को ऐसा धर्ममय राजनीतिज्ञ मिल जाय तो जीव दया कार्य सर्वत्र किया जा सकता है।
कठिन तपस्वी दिगंबर जैन संत आचार्य सुनील सागरजी ने गुजरात की धरा को किया धर्मोपदेश से पावन ।
यहाँ की जनता को चातुर्मास दरम्यान आपके उपदेशों का लाभ मिला है, संस्कारों का सिंचन हुआ है। वास्तव में जैन संतो की तपस्या बहुत कठिन है वे सत्य, अहिंसा, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के सिद्धांतो का पालन करते हैं, और इन आदर्शों को समाज में रखकर, समाज को अणुव्रती के रूप में इस मार्ग पर चलने की प्रेरणा देकर राष्ट्र की विभिन्न समस्याओं का स्थायी समाधान दे रहे हैं |
शरीर और आत्मा के भेदविज्ञान को जानकर ये परम उपकारी संत व्यक्ति से समष्टि के हितों की कल्पना को साकार करने में अनवरत लगे हुए हैं । व्यक्ति से समष्टि का विचार करते हैं तो समस्त प्राणी में समान आत्मा का विचार आता ही है। इसीलिए राज्य में जीवदया के कई कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। "लेना नहीं अपितु देने के भाव का विचार" तो अपरिग्रह से ही