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अणुव्रत सदाचार और शाकाहार
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बच्चों को गलत तरीके से न डराए
अज्ञानतावश हमारे समाज में चलन है "गलत तरीके से आभासी भय दिखाकर बच्चों को डराने” | वस्तुतः इससे बच्चे का आत्मविश्वास टूटता है, वह झूठ बोलना सीखता है, चोरी करना, गलती छिपाना भी सीख जाता है जो बाद में अपराधवृत्ति का रूप ले लेता है। उनको सिखाओ अंधेरे से डरने की कोई जरूरत नहीं है, मुसीबत का हिम्मत व साहस से सामना करना सीखो। माताएं अपने बच्चो को वीर बना सकती हैं। परिवार टूटते हैं मुखिया को सम्मान न देने से
__ आज एकल परिवार व्यवस्था का चलन जोरों पर है। मुखिया का कोई सम्मान नहीं रह गया है। बंधुओ! जिस घर में मुखिया का सम्मान नहीं होता वह बिखर जाता है। अहम् टकराने से परिवार टूटते हैं हमे इससे बचना है तथा मैत्री व प्रेम की व्यवस्था को आगे ले जाना है। बच्चों को अपने माँ बाप को पलटकर जवाब देने से पहले एक बार नहीं सौ बार सोचना चाहिए गुरुओं का भी आदर करना चाहिए क्योंकि वे ही हमारे परम हितेषी हैं। माता-पिता-गुरु को सबसे अधिक तकलीफ तब होती है जब उनका बेटा, शिष्य उनसे जबान लड़ाता है। प्रभु महावीर इतने आज्ञाकारी और सुविज्ञ पुत्र थे कि उनकी माता ने जो 16 सपने देखे थे उन्होंने अपने आचरण से उन्हें सच करके दिखा दिया। हमें भी अपने बड़ों का कृतज्ञ होना चाहिए उनका जीवन पर अहसान मानना चाहिए। अँधेरे को कैसे हटाएं?अँधेरे में आए, अँधेरे में ही चले गए। उजाले में आए किन्तु अंधरे में गए।। अँधरे में आए, उजाले में गए। उजाले में आए और उजाले में ही गए।।
गुरुदेव ने 4 प्रकार के लोगों की प्रकृति जिक्र करते हुए कहा कि प्रथम कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनको जन्म से सम्यक्त्व रूपी उजाले का समागम नहीं मिला, पुरुषार्थ से भी उसका उपार्जन नहीं किया, जीवन में ऐसी संगत भी नहीं मिली और वे अज्ञान के अँधेरे में ही इस दुनियाँ से विदा हो गए, वे महा दुर्भाग्यशाली हैं। दूसरे वे दुर्भाग्यशाली लोग हैं जो अच्छे कुल में पैदा तो हुए किन्तु जीवन में सम्यक् बोध एवं सम्यक् आचरण नहीं कर पाए। तथा तीसरे वे सौभाग्यशाली जीव हैं जिन्होंने जन्म तो सम्यक्त्व के वातावरण में नहीं लिया किन्तु सुयोग पाकर समुचित पुरुषार्थ करके सम्यक्त्व के उजाले से जो अपने जीवन को धन्य कर गए। और वे अति सौभाग्यशाली जीव हैं जिनको जन्म से सम्यक्त्व का सानिध्य मिला, जीवनभर तदनरूप पुरषार्थ भी किया तथा अंत में समाधिमरण के द्वारा जीवन को सफल बना गए। भगवान महावीर ऐसी ही पवित्र आत्मा थे जो उजाले में आए और जिंदगीभर उजाले में