Book Title: Anuvrat Sadachar Aur Shakahar
Author(s): Lokesh Jain
Publisher: Prachya Vidya evam Jain Sanskriti Samrakshan Samsthan

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Page 56
________________ अणुव्रत सदाचार और शाकाहार रुपये न होते तो हम दोनों में से कोई भी नदी पार नहीं कर सकता था। गुरु ने समझाया कि यह तुम्हारी भूल है। वस्तुत: तुमने जब 10 रुपये का त्याग किया तभी नदी पार कर सके। यदि तुम समय रहते सभी अतिरेक का त्याग कर दोगे तो इस भव सागर को आसानी से तर जाओगे। ____दान से प्रेम बढ़े, अहम् घटे, दूसरों की भी इज्जत ढंकी रहे, इंसानियत जिन्दा रहे, त्याग तप की कल्याणकारी प्रवृत्तियां सतत चलती रहें तभी उत्तम त्याग धर्म की सार्थकता है। त्याग धर्म के सामाजिक सरोकार का पक्ष रखते हुए पूज्य गुरुदेव ने कहा कि समाज में गरीबी इतनी नहीं जितनी कि असमानता है इसे दान के द्वारा संतुलित किया जा सकता है। कुछ के पास इतना है कि वे बिगाड़ करते हुए भी नहीं अचकचाते तो कई के पास इतना भी नहीं हैं कि दो जून का जुगाड़ भी कर सकें। इस दिशा में आज कुछ युवा संगठित होकर आगे आ रहे हैं जो सेवा भाव से सामाजिक समारोहों में बचे भोजन को जरूरतमंद लोगों तक पहुँचाने जैसे बेहतर कार्य कर रहे है जिससे वे लोग भी अपने जीवन को उन्नत बनाते हुए धर्म व राष्ट्र के विकास में अपना योगदान कर सकें। यह एक नेक काम है। हे भव्य जीवो! यदि आप अपना कल्याण चाहते हो तो कषाय, देह और विकल्पों का त्याग करके सम्यक्त्व को धारण करो तथा समाज के संतुलन में अपना योगदान सुनिश्चित करो। 23 परिग्रह परिमाण करना ही श्रावक के लिए : उत्तम आकिंचन धर्म पर्युषण पर्व की साधना के चरमोत्कर्ष की ओर बढ़ते हुए आज 9वें उत्तम आकिंचन धर्म के दिन परमपूज्य गुरुदेव आचार्य श्री सुनीलसागरजी महाराज ने प्रातः कालीन सभा में कहा कि आज उत्तम आकिंचन धर्म का दिन है जो हमें सिखाता है कि परिग्रह दुःख का कारण है। मुनिजनों को तो लंगोटी की परिग्रह भी उतना दुख देती है जितना नाखून में चुभी हुई छोटी सी फाँस असहनीय दर्द देती है। श्रावक धर्म के निर्वाह के लिए परिग्रह परिमाण करना आवश्यक है। यदि आवश्यकता से अधिक हमारे पास में है तो उसे सहर्ष दूसरों को दें, पर पदार्थों में आसक्ति कम करें, ममत्व घटाएं क्योंकि यह दुख का कारण है। जैसे किसी बंगले का रखवाला घर की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होकर भी उसमें मालिकी के ममत्व से मुक्त होता है, मंहगी कार का ड्राइवर भी मालिकीपने के भाव से सदैव अपने को उससे विरक्त रखता है, एक बैंक का कैशियर सभी प्रकार की सावधानी रखते हुए

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