Book Title: Anuvrat Sadachar Aur Shakahar
Author(s): Lokesh Jain
Publisher: Prachya Vidya evam Jain Sanskriti Samrakshan Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 48
________________ अणुव्रत सदाचार और शाकाहार हो किन्तु वह कभी हारता नहीं है, अपितु हमेशा दूसरों के लिए सत्य का मार्ग प्रशस्त करता है। इसलिए कहा गया है कि सच्चाई छिप नहीं सकती कभी झूठे उसूलों से। खुश्बु आ नहीं सकती कभी कागज के फूलों से। सत्य एक खरा सोना है जो हर परिस्थिति में सोना ही रहता है। भारतीय संस्कृति का एक सोनेरी सूत्र है- “साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप। जाके हिरदय साँच है, ताके हिरदय आप।' सत्य बोलने वाले के हृदय में सदा प्रभु निवास करते हैं। उसे किसी का भय नहीं होता। 'साँच को कभी आँच नहीं आती।' सत्य बोलने वाले का कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। व्रत उपवास आदि तो बाह्य तप हैं किन्तु सत्य वह अंतरंग तप है जो सीधा मोक्ष मार्ग पर ले जाता है। सत्य ही सम्यक् श्रद्धान है। गांधीजी ने सत्य को अपने जीवन में उतारा। बचपन में देखे गए सत्यवादी हरिश्चन्द्र नाटक का गहरा असर उनके मन पर इस कदर पड़ा कि वे ता-उम्र सत्य के प्रयोग करते रहे और सत्य के प्रति अपनी श्रद्धा तथा निष्ठा को निरंतर दृढ़तर बनाते गए। उनका मत था कि यदि दुनियाँ का हर व्यक्ति सच बोलने लगे तो इस जीवन की, इस दुनियाँ की सारी समस्याओं का समाधान पलभर में हो जायेगा। सत्य की आराधना के लिए जीवन में अहिंसा पालन अनिवार्य है। सत्य धर्म के व्यावहारिक पक्ष को समझाते हुए आचार्यश्री ने कहा कि सत्य बोलते समय यथोचित विवेक और संयम जरूरी है। हम ऐसा सत्य कदापि न बोले जिससे परिवार में क्लेश पैदा होता हो, समाज में टूटन आती हो, राष्ट्रीय संकट खड़ा होता हो। विपरीत स्थिति में चाहिए कि हम जहाँ तक बने मौन रहें और यदि बोलना भी पड़े इस तरह से कुशलता से, विनम्रता से कहें कि संकट टल जाय या परिस्थितियों का विपरीत प्रवाह थम जाय । आचार्यश्री आगे कहते हैं कि असत्य बोलने से विश्वास टूटता है। परिवार, समाज और व्यापार आदि में अविश्वास के चलते एक ही झटके में सब कुछ बिखर जाता है। समाज में, युवाओं में विकृतियां उत्पन्न होती हैं। अविश्वासी व्यक्ति सच्चाई सामने आने पर निंदा का पात्र बनता है तथा वह अपना धन सम्मान सभी कुछ गुमा बैठता है। इसीलिए हमें जीवन को पारदर्शी और सत्यनिष्ठ बनाना चाहिए। आज डॉक्टर जैसे सम्मानित पेशे से जुड़े लोग भी इस नश्वर धन के लालच में झूठ बोलकर लोगों को लूटने में तनिक भी नहीं लजाते। मोबाइल जैसे आधुनिक यंत्रो ने तो मानव को बड़ी ही कुशलता से झूठ बोलना सिखा दिया है। यदि समय रहते इस और ध्यान नहीं दिया गया, इससे नहीं बचा गया तो व्यक्ति, समाज व राष्ट्र को गंभीर परिणाम झेलने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।

Loading...

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134