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वीर सेवा मन्दिर का मासिक
अनेकान्त
(पत्र-प्रवर्तक : प्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर')
अप्रैल-जून १९५५
वर्ष ३६: कि०२
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इस अक में
विषय १. संबोधन २. जैन न्याय के सर्वोपरि प्रस्तोता श्री भट्टाकलकदेव
-डॉ. ज्योतिप्रमाद जैन ३. रूपशतक एक अनूठी आध्यात्मिक कृति
-~-श्री कुन्दनलाल जैन ४. स्वयम् की भाषा और देशी तन्य
-~-डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन, इन्दौर ५ भागलपुर की प्राचीन जन प्रतिमाए
-डॉ. अजयकुमार सिन्हा ६. नागौर तथा उममें स्थित भट्टारकीय दि. जैन
ग्रन्थ भडार की स्थापना एव विकाम का मक्षिप्त
इतिहास-डॉ० पी० सी० जैन ७. जनदर्शन में द्रव्याधिक और पर्यायाधिक नय __ - -श्री अशोककुमार जैन
८. जैन साहित्य में वर्णित जन-जातिया | -डॉम मुमन जैन
१. बाहर-भीतर--श्री बाबूलाल जैन |१०. विचारणीय प्रसंग-श्री पपचन्द्र शास्त्री
११. म्वाध्याय और उसकी महत्ता-कु. राका जैन १२. जरा सोचिए-सम्पादक १३. साहित्य-समीक्षा
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वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२