Book Title: Anekant 1983 Book 36 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 113
________________ تي ५.xxx ४१. " भट्टारक पट्टावली ३२. भट्टारक श्री अनन्त कीर्ति ५८. भट्टारक श्री सुर कीर्ति ८४. भट्टारक श्री पप नन्दि जी ३३. , श्री धर्म चन्द्र जी ५९. , श्री विद्या चन्द्र जी ८५. , , श्री शुभ चन्द्र जी श्री विद्यानन्दिनी 'श्री सूर पन्द्र जी , श्री जिनचन्द्र जी ३५. , श्री रामचन्द्र जी श्री माघ नन्दि जी श्री छन कोति श्री रामकीर्ति जी श्री ज्ञान नन्दि जी , श्री भुवन कीर्ति ३७. , श्री अभयचन्द्र जी श्री गग कीर्ति ८६. , श्री धर्म कीति श्री नरचन्द्र जी श्री सिंह कीति श्री विशाल कीर्ति श्री गगचन्द्र जी श्री हेम कीति श्री लक्ष्मी चन्द्र जी ४०. , श्री नयनंदि जी श्री पद्म नन्दि श्री सहस कीति श्री हरि चन्द्र जी श्री नेमि चन्द जी श्री नेमिचन्द्र जी ४२. , श्री नैमि चन्द जी श्री नामि कीति श्री यश. कीति श्री माधवचन्द जी श्री नरेन्द्र कीति थी भानु कीति ४४. , श्री लक्ष्मीचन्द जी श्री चन्द्र जी श्री भूषण जी भट्टारक श्री गुण नन्दि जी श्री पद्म कीनि , श्री धर्मचन्द जी , श्री गुणचन्द्र जी श्री बर्द्धमान जी श्री देवेन्द्र कीर्ति ,, श्री बासवचन्द्र श्री अकलक चन्द्र जी ६E. श्री अमरेन्द्र कीति जी श्री लोकवन्द्र जी श्री ललित कीति १००. श्री रत्न कीर्ति जी श्री श्रुतकीनि ७५. श्री केशव चन्द जी १०१. श्री ज्ञान भूषण जी , श्री भानुचन्द जी श्री चारु कीति जी १०२. , श्री चन्द्र कीर्ति श्री महीचन्द्र जी ७७. भट्टारक थी अभय कीति जी १०३. श्री पद्मनन्दि जी श्री मेघ चन्द्र ७८. श्री बसन कोनि १०४. श्री सकल भूषण जी श्री वृषभ नन्दि ७६. , श्री प्रख्यात कीति १०५. श्री सहस्र कीर्ति जी श्री शिवनन्दि श्री सुभ कीति , श्री अनन्त कीर्ति जी , श्री विश्व नन्दि श्री धर्म चन्द्र जी ॥ श्री हर्षकीर्ति जी , श्री सिंघ नन्दि ८२. , श्री रत्न कीर्ति १०८. श्री विद्याभूषण जी ५७. , श्री भाबन नन्दि ८३. , श्री प्रभा चन्द्र जी संवत् १५३२ मे भट्टारक जिनचन्द्र जी ने आम्बेर मे प्रभाचन्द्र जी को बिठाया ज्यां का पाटा की विगति निम्न प्रकार है :८७. भट्टारक श्री प्रभाचन्द्र जी ८८. भट्टारक श्री धरम चन्द जी श्री ललित कीर्ति जी , श्री देवेन्द्र.कीर्ति जी ६१. श्री चन्द्र कीर्ति जी , श्री नरेन्द्र कीर्ति जी श्री देवेन्द्र कीर्ति जी श्री सुरेन्द्र कीर्ति जी श्री जगत कीर्ति जी श्री देवेन्द्र कीर्ति जी श्री महेन्द्र कीर्ति जी श्री क्षेमेन्द्र कीर्ति जी , श्री सुरेन्द्र कीर्ति जी १००. , श्री सुखेन्द्र कीर्ति जी १०१. , श्री नरेन्द्र कीर्ति जी १०२. , श्री देवेन्द्र कीर्ति जी निव.पृ०.२७ पर) नोट-प्रन्थ सख्या ४४०४ की भट्टारक पट्टावली में छलकीर्ति के स्थान पर पपनन्दि लिखा है शेष इसी के अनुरूप है। xxxxxxxx १०७. 500 ०MM . ६८.

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