________________
घोर सेवा मन्दिर का त्रैमासिक
अनेकान्त
(पत्र-प्रवर्तक : प्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर') वय ३६ : कि०४
अक्टूबर-दिसम्बर १९॥
इस अंक में
क्रम
विषय १. जिनवाणी-महिमा २. श्रीलंका और जैनधर्म-डा. ज्योतिप्रसाद जैन ३. जैनधर्म की प्राचीनता व ऐतिहासिकता
-डा० देवेन्द्रकुमार शास्त्री, नीमच ४. गुप्त सम्राट् रामगुप्त जैन धर्मानुरागी था
-कुन्दनलाल जैन प्रिन्सिपल ५. क्षणभंगवाद और अनेकान्त
-अशोककुमार जैन एम० ए० ६. आचार्य कुन्दकुन्द की जैन दर्शन को देन
-डा. लालचन्द जैन, वैशाली ७. जैनधर्म-दर्शन में आराधक की अवधारणा
-डा. गुलाबचन्द जैन ८. बीज मे वृक्ष की संभावना
- वक्ता श्री बाबूलाल जैन ९. दिगम्बरत्व का क्या होगा?
-कुन्दनलाल जैन प्रिंसिपल १०. विचारणीय-प्रसंग-पपचन्द्र शास्त्री, दिल्ली ११. जरा-सोचिए-संपादक १२. साहित्य-समीक्षा
प्रकाशक
वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२